ब्रजधाम की अनूठी महिमा जहां भगवान के कई रूप, एक रात में बनकर तैयार हुआ था मंदिर
Advertisement
trendingNow1753424

ब्रजधाम की अनूठी महिमा जहां भगवान के कई रूप, एक रात में बनकर तैयार हुआ था मंदिर

लोगों ने देखा एक रात में किस तरीके से मंदिर को भव्य रूप देकर कई मंजिल का बनाया गया है. उसमें नक्काशी के साथ लाल पत्थर का भी प्रयोग हुआ तो लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़कर कहानियां बनाने लगे. ये दंतकथा गोवर्धन में भी प्रचलित है.

मथुरा में स्थित हरदेव जी मंदिर की स्थापना भगवान के प्रपौत्र ने की थी...

नई दिल्ली : ज़ी आध्यात्म में अब आपको भगवान कृष्ण के उस धाम की महिमा बताते हैं जो चारों धामों से निराला है. यहां बसते हैं भगवान श्री कृष्ण के कई रूप जिनकी श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ पूजा होती है. यूं तो मथुरा की अद्भुत नगरी में गली-गली और द्वार-द्वार पर मंदिर हैं. लेकिन गोवर्धन का ये मंदिर अनूठा है. इस मंदिर की मान्यता है कि यह एक रात में बनकर ही तैयार हो गया था.

  1. कान्हा की नगरी के एक रहस्यमयी द्वार की महिमा
  2. एक रात में तैयार हुआ था भगवान का भव्य मन्दिर
  3. 5 हजार वर्ष पहले श्री कृष्ण जन्मभूमि पर चमत्कार

चारों लोक से है मथुरा न्यारी
उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित हरदेव मंदिर के रहस्य भी अनूठे हैं. भगवान श्री कृष्ण को अपनी इस नगरी से विशेष प्रेम है. गोवर्धन का इतिहास भगवान की लीलाओं से जुड़ा हुआ है. ब्रजभूमि की रक्षा के लिए कान्हा स्वयं खड़े रहे, प्रजा की रक्षा के लिए अपनी एक उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया. जहां ये इतिहास रचा गया उस धरती का एक मंदिर द्वापर युग की विरासत को आज भी सहेजकर खड़ा है .

भगवान के प्रपौत्र ने की स्थापना
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र की पूजा छुड़वाकर गिरिराज जी की पूजा करवाई तब इंद्रदेव्र ने रुष्ट होकर ब्रज को नष्ट करने के लिए सात दिन और सात रात बरसात करवाई थी. हरदेव जी मंदिर का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने मंदिर की स्थापना की थी. जिसके बाद इस स्थल को भव्य रूप से मंदिर का रूप दिया गया.

ये भी पढ़ें- 'केदारनाथ' का क्लाइमेक्स सुन रो पड़े थे सुशांत, लेखिका ने सुनाया किस्सा

एक रात में तैयार हुआ था मंदिर
बताया जाता है कि मंदिर की सात मंजिलें एक रात बनकर तैयार हो गईं थी. इसके बाद जब लोगों ने देखा एक रात में किस तरीके से मंदिर को भव्य रूप देकर कई मंजिल का बनाया गया है. उसमें नक्काशी के साथ लाल पत्थर का भी प्रयोग हुआ तो लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़कर कहानियां बनाने लगे. ये दंतकथा गोवर्धन में भी प्रचलित है. यानी मान्यता बनने लगी कि इस मंदिर को भूतों ने बनाया है.

औरंगजेब की मंशा रही नाकाम
कहते हैं कि इस भव्य मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब ने आक्रमण कर ध्वस्त करने की कोशिश भी. मंदिर की पांच मंजिलें तोड़ दी गईं लेकिन आज भी यहां पर प्राचीन काल की सेवा पद्धति के अनुसार ही पूजा-पाठ होता है जहां श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आते हैं.

ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का हरदेव जी मंदिर ही मुख्य पड़ाव है. औरंगजेब के आक्रमण के दौरान ब्रज के सभी प्रमुख मंदिरों में विराजमान ठाकुर जी की प्रतिमा को यहां से राजस्थान जयपुर के लिए भेज दिया गया था लेकिन हरदेव जी मंदिर में विराजमान प्रतिमा यहीं विराजित रही.

गोवर्धन की ऐतिहासिक भूमि पर य़े मंदिर अपार आस्था का प्रतीक बना खड़ा है. इसे अदभुत चमत्कारों की भूमि कहिए या श्रद्धा की धरती, ब्रज धाम का ये मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के पूर्ण अवतार होने का साक्षी है.

LIVE TV
 

Trending news