Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि का 7वां दिन मां कालरात्रि को समर्पित, पूजा करने से हर भय रहता है दूर
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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि का 7वां दिन मां कालरात्रि को समर्पित, पूजा करने से हर भय रहता है दूर

Chaitra Navratri: दैत्य रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया तो देवताओं ने मां का आह्वान कर संकट से उबारने का आग्रह किया. ऐसे में मां दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को उत्पन्न किया.

 

मां कालरात्रि

Maa Kalratri: नवरात्रि का सातवां दिन आदिशक्ति देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है. दुष्टों का नाश करने के लिए आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया था, इसलिए मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के इस रूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है. मां कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल देती हैं. इसी कारण उनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त को कभी अग्नि, जल, शत्रु या रात्रि का भय कभी भी नहीं सताता है. 

मां का स्वरूप

रात के अंधकार के समान कालरात्रि देवी का शरीर काला और अति भयानक है. मां के चार हाथ हैं, जिनमें से एक में गंडासा, दूसरे में वज्र है. अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं. इनके गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं तथा इनका वाहन गधा है. मां का यह स्वरूप अंधकार मय स्थितियों का विनाश करने वाला है. तीन नेत्रों वाली इस देवी की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं. उनके नाम का स्मरण करने से दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत भाग जाते हैं.

रक्तबीज का वध 

जब दैत्यराज शुंभ और निशुंभ का वध होने के बाद कुछ समय तक तो संसार में शांति बनी रही, फिर दूसरे दैत्य रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया तो फिर से देवताओं ने मां का आह्वान कर इस संकट से उबारने का आग्रह किया. मां ने रक्तबीज को तो मौत के घाट उतार दिया, किंतु उसे वरदान था कि उसके शरीर से निकले रक्त की एक बूंद भी पृथ्वी पर गिरते ही नया रक्तबीज तैयार हो जाएगा. इस तरह एक रक्तबीज के मरने से लाखों रक्तबीज पैदा हो गए तो मां दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को उत्पन्न किया. इन्होंने दैत्य का वध कर उसका रक्त जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुंह में भरकर उसका अंत कर दिया.

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