नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) नियंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन का आहवान किया है. लेकिन इस आस्था के सामने महामारी रोकने की मुहिम चलाना सरकार के लिए एक चुनौती बन गई है. नवरात्रि की वजह से लोग लॉकडाउन को नहीं मान रहे और मंदिरों की तरह रुख कर रहे हैं. 


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प्राप्त जानकारी के मुताबिक देश भर के तमाम बड़े मंदिरों को कोरोनावायरस के खतरे के मद्देनजर बंद किया जा चुका है. लेकिन कई छोटे मंदिर अभी भी खुले हुए हैं. खासतौर पर अलग-अलग कॉलोनियों व मोहल्लों में बनाए गए मंदिरों में लोग अभी भी पहुंच रहे हैं. चांदनी चौक के एक ऐसे ही मंदिर के पुजारी शिव प्रसाद त्रिपाठी ने कहा, 'हमारा मंदिर काफी छोटा है. यहां दिन भर में 30-40 लोग ही पूजा करने आते हैं, वह भी अलग-अलग समय पर. इसके अलावा हमने स्वयं से किसी भी व्यक्ति को मंदिर आने या न आने के लिए नहीं कहा है.' त्रिपाठी ने कहा कि वह दिन में तीन बार मंदिर के मुख्य द्वार और भगवानों की मूर्ति को साफ करते हैं, लेकिन नवरात्र होने के कारण मंदिर के दरवाजे बंद नहीं कर सके.


कोरोना वायरस संक्रमण में धार्मिक स्थल सबसे ज्यादा खतरनाक
विभिन्न वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों से ही फैल रहा है. मसलन, दक्षिण कोरिया में सिर्फ एक चर्च से लगभग 2500 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसके अलावा स्पेन, इटली और अमेरिका में भी चर्च में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं. ऐसे में अगर भारतीय मंदिरों में ज्यादा आना जाना करते हैं तो इस जानलेवा वायरस को रोकना असंभव हो जाएगा. 


चांदनी चौक स्थित नई सड़क इलाके के मंदिर दर्शन के लिए पहुंची शिवानी शर्मा ने कहा, 'हम लोग अपने स्थानीय मंदिर में ही जा रहे हैं. नवरात्र पूजा के लिए हम किसी बड़े या भीड़भाड़ वाले इलाके अथवा मंदिर में नहीं गए. हमारे स्थानीय मंदिर में भी हम लोग तब जा रहे हैं जब वहां अधिक लोग मौजूद नहीं हैं.'


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इस प्रकार की लापरवाही लगातार कई स्थानों पर सामने आई है, जहां लोग सार्वजनिक स्थानों पर पहुंचने के बाद अपने-अपने तर्क देते नजर आए. हैरानी की बात तो यह है कि यहां कई लोग ऐसे मंदिरों के बाहर भी पहुंचे, जिनके दरवाजों पर ताला लगा हुआ है.