Kartik maas ki ekadashi: माना जाता है श्री विष्णु हरि चार माह की योग निद्रा के बाद इस दिन जागते हैं. उनके जागने के साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों का प्रारंभ हो जाता है जो देवशयनी एकादशी से रुका हुआ था. इस बार देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर को है जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं.
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Dev prabodhini ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी के दिन का बहुत अधिक महत्व है, वैसे तो महीने के दोनों पक्षों में एक बार एकादशी की तिथि आती है. इस तरह साल भर में 24 बार एकादशी होती है. कुछ एकादशी की तिथियों का महत्व तो कई गुना बढ़ जाता है जिनमें देवशयनी एकादशी, निर्जला एकादशी, पुत्रदा एकादशी और देवोत्थान एकादशी प्रमुख हैं. दीपावली से ठीक ग्यारवें दिन देवोत्थान एकादशी होती है. माना जाता है श्री विष्णु हरि चार माह की योग निद्रा के बाद इस दिन जागते हैं. उनके जागने के साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों का प्रारंभ हो जाता है जो देवशयनी एकादशी से रुका हुआ था. इस बार देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर को है जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस लेख में जानते हैं कि एकादशी व्रत करने से मनुष्यों को किस तरह का लाभ प्राप्त होता है.
एकादशी व्रत रखने के लाभ
धर्म ग्रंथों में एकादशी व्रत के बहुत से लाभ बताते हुए कहा गया है कि इस व्रत के पुण्य के समान संसार में कोई और पुण्य नहीं है. जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे भी कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है. इस व्रत का पालन करने से गोदान, स्वर्ण दान, अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले पुण्य से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होकर अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता की वर्षा करते हैं जिसके कारण घर में घर में सुख-शांति बनी रहती है.
भगवान शिव ने नारद जी को बताया व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है. पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधि आदि जिन लोगों ने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ. भगवान शिव ने नारद जी से इस व्रत के महत्व को बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति लगातार एकादशी का व्रत करता है, उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. धन-धान्य, पुत्र आदि की वृद्धि होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)