Trending Photos
Surya Arghya: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर माह अपना राशि परिवर्तन करते हैं. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. बता दें कि सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसी राशि के नाम से संक्रांति को जाना जाता है. शास्त्रों में संक्रांति का दिन बेहद खास माना गया है. 16 अगस्त को सूर्य सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में इसे सिंह संक्रांति के नाम से जाना जाएगा. ऐसे में जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में सूर्य सिंह राशि में हैं, उनके लिए यह संक्रांति लकी साबित हो सकती है.
ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति के दिनों में भगवान सूर्य की पूजा विशेष मानी गई है, जो लोग भगवान सूर्य की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए. बता दें कि इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए. साथ ही, सूर्य देव को भी अर्घ्य दें.
Astro Upay: चुटकियों में दूर हो जाएगी कंगाली यदि घर की इन तीन जगहों पर रख लिया कपूर!
जानें संक्रांति पर कैसे दें सूर्य देव को जल
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इस दौरान स्नान के पानी में गंगाजल मिला लें और अगर घर में गंगाजल न हो तो तुलसी की मंजरी भी डाल सकते हैं.
- इस दिन स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करें.
- इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें और उसमें रोली, अक्षत, गुड़ और लाल फूल मिलाएं.
- इसके बाद नंगे पैर सूर्य देव को भाव सहित अर्घ्य अर्पित करें.
- वहीं, खड़े होकर सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें.
- इसके साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देते समय 11 बार सूर्य नमोस्तु श्लोक का जाप करें.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसा सूर्य देव को अर्घ्य देते समय 'ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:'' आदि वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी माना गया है.
- इस दिन तामसिक चीजों से दूरी बनाने में ही भलाई है. इस के साथ ही, अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि पैरों पर अर्घ्य का पानी न पड़े.
सिंह संक्रांति पर करें ये उपाय
सिंह संक्रांति के दिन व्रत का पालन करें. इसके साथ ही सूर्य देव की भाव के साथ पूजा करें. इसके साथ गुड़, लाल पुष्प, तांबा, गेंहू आदि सामग्री का दान करें. इसके साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं. इससे भगवान सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
सिंह संक्राति पर पूजा मंत्र
- ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)