Ganesh Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रदर्शन का क्यों है विशेष महत्व, लेकिन विनायक चतुर्थी पर है वर्जित, जानें कारण
Advertisement

Ganesh Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रदर्शन का क्यों है विशेष महत्व, लेकिन विनायक चतुर्थी पर है वर्जित, जानें कारण

Significance Of Chandra Darshan: हर माह दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इस दिन चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्रदर्शन वर्जित होते हैं. जानें इसका महत्व है. 

 

फाइल फोटो

Chandra Darshan Significance On Chaturthi: भगवान श्री गणेश को माह की चतुर्थी तिथि समर्पित है. इस दिन भगवान श्री गणेश की कृपा पाने और मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत आदि रखा जाता है. गणेश जी के आशीर्वाद से व्यक्ति के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं. हर कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है.इस दिन चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित होते हैं. आने जानते हैं कि इसका कारण. 

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रदर्शन का महत्व

ये भी पढ़ें- Kanwar Yatra 2022: जुलाई में इस दिन से शुरू हो जाएगी कावड़ यात्रा, जानें इसके नियम और महत्व

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश की विधि-विधान के साथ  पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है. चंद्रदर्शन करने के बाद चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है और व्रत पूरा माना जाता है. इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं. 

विनायक चतुर्थी पर गलती से भी न करें चंद्रदर्शन

जहां संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रदर्शन के बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता. वैसे ही विनायक चतुर्थी पर चंद्रदर्शन की मनाही होती है. ऐसे में कई लोग हर बार शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी पर व्रत रखते हैं और चंद्रदर्शन नहीं करते. लेकिन ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी को चंद्रदर्शन नहीं किए जाते. मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठा कलंक लग जाता है. 

ये भी पढ़ें- Numerology: इन तारीखों में पैदा हुए लोगों को जरूर मिलता है ऊंचा पद-सम्‍मान, कमाते हैं अपार पैसा!

 

पौराणिक मान्यता है कि इस चतुर्थी को भगवान श्री कृष्ण ने चंद्र दर्शन किए थे. इसके बाद ही उन पर मणिचोरी का झूठा आरोप लगा था. इसलिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्र दर्शन की मनाही होती है. इसे कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

Trending news