Geeta Lessons: हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता का बहुत बड़ा महत्व है. यह व्यक्ति को जीवन में कर्म योग, ज्ञान योग और धर्म योग के बारे में विस्तार में बताता है. गीता के उपदेशों के अनुसार व्यक्ति अगर जीवन में बार बार असफलता हासिल कर रहा है तो यह समझ लें कि उसका कर्म उसका साथ नहीं दे रहा है. चलिए विस्तार में जानते हैं कि व्यक्ति के कौन से ऐसे कर्म हैं जिनकी वजह से उन्हें असफलता का सामना करना पड़ता है ताकि वह अपनी जिंदगी में उस भूल को दोबारा ना दोहराएं.


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असफलता का पहला कारण नींद


गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि व्यक्ति अगर 7 से 8 घंटे की नींद से ज्यादा सोता है तो वह असफलता का पहला कारण है. ऐसे लोग जीवन में कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं. इसलिए अधिक देर तक ना सोए और अपने लक्ष्य को हासिल करें.


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असफलता का दूसरा कारण गुस्सा


गीता के उपदेश के अनुसार व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिए. ऐसे लोगों पर गुस्सा हमेशा हावि हो जाता है और इनका बनता काम बिगड़ जाता है. यही वजह है कि वह हर जगह असफलता हासिल करते हैं. ऐसे गुस्सैल व्यक्ति से लोग दूरियां भी बनाने लगते हैं, जिसके वजह से इनका दायरा भी सीमित हो जाता है.


असफलता का तीसरा कारण डर


गीता के उपदेश के अनुसार जीवन में अगर डर हावी हो जाए तो ऐसे लोग कभी भी सफल नहीं हो पाते हैं. बता दें डर की वजह से व्यक्ति के मन में किसी भी काम को करने में हिचकिचाहट होगी, जिसकी वजह से वह औरों से पीछे रह जाएगा. इसलिए डर को पीछे छोड़ निडरता से किसी भी चीज का सामना करें.


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असफलता का चौथा कारण आलस


गीता के अनुसार आलस व्यक्ति जीवन में कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाता है. दरअसल आलस व्यक्ति के बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है. इसलिए आलस और सुस्ती को छोड़ किसी भी काम को करने का मन में उत्साह रखें सफलता अपने आप कदम चूमेगी.  


असफलता का पांचवा कारण थकान


असफलता का पांचवा कारण गीता में बताया गया है और वह है थकान. ऐसे में व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा नींद आती है साथ ही उसे किसी काम में मन नहीं लगता है. ऐसे लोग फिर जीवन में सफलता हासिल नहीं कर पाते इसलिए थकान को त्याग अपने अंदर हमेशा नई ऊर्जा लाएं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)