Who Are Mind Readers: यह एक तरीका है, जिसमें बिना किसी फिजिकल इक्विपमेंट के आप सामने वाले की मन की बात जान लेते हैं. यह पूरी तरह दिमाग का खेल होता है. इसमें कुछ ऐसी ट्रिक्स होती हैं, जिनका उपयोग मेंटलिस्ट करते हैं और वे सामने वाले शख्स के मन की बात जानकर उसे बता देते हैं.
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How To Do Mind Reading: हाल ही में न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर आपने मैजिक देखा होगा, जिसमें मेंटलिस्ट यानी दिमाग को पढ़ने वाले सामने वाले शख्स के ज़हन में क्या चल रहा है, वह बता देते हैं. यह देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. यह ट्रिक इन दोनों कुछ बाबा भी करते हैं. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इसी कला के जरिए पूरे देश में सुर्खियों में छाए हुए हैं. लेकिन उन पर चर्चा करने के बजाय हम आपको यह बता रहे हैं कि आखिर मेंटलिस्ट दिमाग की बातों को पढ़ कैसे लेते हैं.
माइंड रीडिंग आखिर क्या बला है?
यह एक तरीका है, जिसमें बिना किसी फिजिकल इक्विपमेंट के आप सामने वाले की मन की बात जान लेते हैं. यह पूरी तरह दिमाग का खेल होता है. इसमें कुछ ऐसी ट्रिक्स होती हैं, जिनका उपयोग मेंटलिस्ट करते हैं और वे सामने वाले शख्स के मन की बात जानकर उसे बता देते हैं. यह उस शख्स को चमत्कार जैसा ही लगता है और मेंटलिस्ट में उसकी भक्ति बढ़ जाती है.
लेकिन मालूम चलता कैसे है?
यूं तो साइकोलॉजी के जानकार व्यक्ति के मन की बात जान लेते हैं. वह हाथों-पैरों की मूवमेंट, चेहरे के हाव-भाव, कपड़ों और बैठने के तरीके को भांप लेते हैं. इसी ट्रिक से वह जान लेते हैं कि आपके ज़हन में क्या चल रहा है. ऐसे भी तांत्रिक या बाबा आपको मिल जाएंगे, जिन्होंने साइकोलॉजी की डिग्री हासिल नहीं की है लेकिन फिर भी वह मन की बातें मालूम कर लेते हैं. वहां भी यही ट्रिक काम आती है.
कैसे पढ़ते हैं दिमाग
कॉर्ल ह्यूम के कॉन्सेप्ट सिंक्रनाइजेशन की माने तो हर व्यक्ति का मस्तिष्क किसी दूसरे से कैसे ना कैसे जुड़ा होता है. जब कोई शख्स बेहद शांत मन से आपके मन को टटोलने की कोशिश करता है तो कुछ आपका दिमाग कुछ हद तक उसे सिग्नल दे देता है. ये सिग्नल सामने वाले को आभास की तरह महसूस होने लगते हैं और वह ठीक-ठाक तरीके से आपके मन की बात को जान लेते हैं.
फर्ज करिए कि आप किसी से मोहब्बत करते हैं. वह आपसे दूर है. अगर वह किसी परेशानी में पड़ जाता है तो आपके अंदर खलबली मच जाती है. आपको मालूम चल जाता है कि वह मुश्किल में है. यह अकसर मांओं के साथ होता है. उनको भी अपने बच्चों की परेशानियों के बारे में पता चल जाता है.
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