खीर भवानी, क्षीर भवानी, मां राज्ञा माता, राग्याना देवी, आराधना देवी जैसे मां के कई नाम हैं. लेकिन जिस एक नाम से पूरे कश्मीर की पहचान जुड़ी हुई है, वो है कश्मीर की देवी खीर भवानी.
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नई दिल्ली : भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने चमत्कारी और आस्था के लिए प्रसिद्ध हैं. इन मंदिरों से जुड़ी प्राचीन कथाएं रोचक भी हैं और धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुई हैं आज आपको कश्मीर के खीर भवानी मंदिर की महिमा के बारे में बताते हैं जहां मां दुर्गा खीर भवानी के नाम से विराजमान हैं. साथ ही बताएंगे कैसे किसी अनिष्ट की आहट से यहां माता लोगों को संकेत दे देती हैं.
कश्मीरी पंडितों की आस्था का केंद्र
कश्मीर के गांदरबल में मां खीर भवानी का प्राचीन मंदिर स्थित है जो कश्मीरी पंडितों की आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है. जहां से न सिर्फ उनकी आस्था बल्कि उनकी परंपरा भी जुड़ी हुई है.
खीर भवानी, क्षीर भवानी, मां राज्ञा माता, राग्याना देवी, आराधना देवी जैसे मां के कई नाम हैं. लेकिन जिस एक नाम से पूरे कश्मीर की पहचान जुड़ी हुई है, वो है कश्मीर की देवी खीर भवानी.
गांदरबल में मां भवानी का प्राचीन मंदिर
खीर भवानी मंदिर श्रीनगर से करीब 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित है. इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं, जो यहां की सुंदरता को बढाते हैं. यहां बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं. ऐसा विश्वास है कि इस मंदिर में मां के दर्शन से लोगों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है.
कश्मीर की देवी हैं माता खीर भवानी
इस मंदिर से कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु, नंगे पांव मां के दर्शन के लिए आते हैं. पुरुष श्रद्धालु मंदिर के पास स्नान करते हैं. श्रद्धालु मंदिर में बने जलकुण्ड में खीर चढ़ाते हैं. यहां प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा केवल खीर और दूध ही चढ़ाने की परंपरा है.
मान्यता है कि खीर का भोग लगाने से मां भक्तों से प्रसन्न रहती हैं. बाद में यही खीर प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटी जाती है. मां खीर भवानी को स्थानीय लोग कश्मीर की देवी भी कहते हैं.
संकट का संकेत देता है मंदिर का कुंड
माना जाता है कि खीर भवानी मंदिर के नीचे बहने वाली जलधारा के पानी का रंग घाटी के कल्याण का संकेत देता है. यदि इसका जल काला होता है, तो यह अशुभ माना जाता है. किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है. लोग इसे मां भवानी का चमत्कार मानते हैं.
खीर भवानी मंदिर में हर साल एक पारंपरिक मेले का आयोजन होता है. यहां लगने वाला मेला पारंपरिक श्रद्धा और हर्षोल्लास का प्रतीक है. इसे खीर भवानी मेला कहते हैं जहां आने वाले श्रद्धालु धार्मिक मंत्रो के जाप के बीच मंदिर में घंटा बजाकर देवी के दर्शन करते हैं.
हनुमान जी ने की थी मंदिर की स्थापना
माना जाता है कि खीर भवानी मंदिर की स्थापना कश्मीर में राम भक्त हनुमान जी ने की थी. मंदिर स्थापना की एक पौराणिक कथा है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार रामाणय काल में रावण माता का परम भक्त था. वो अपने जप-तप से देवी को प्रसन्न रखता था. मगर धीरे-धीरे रावण का घमंड बढ़ता गया और वो दुराचारी हो गया.
जब रावण ने मां सीता का अपहरण किया तो देवी ने नाराज होकर अपना स्थान छोड़ दिया. इसके बाद माता ने पवनपुत्र हनुमान से अपनी मूर्ति को लंका से कहीं दूर रखने को कहा, तब उनकी आज्ञा मानकर हनुमान ने माता की मूर्ति यहां तुलमुल में स्थापित की थी.
1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा हिंदू देवी के मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा हरि सिंह ने किया था. इस वर्ष भी 10 जून को ज्येष्ठ अष्टमी पर खीर भवानी मेले के आयोजन हुआ था तब भी इस मंदिर में मां का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु पहुंचे थे.
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