नई दिल्लीः रुद्राक्ष का हिंदू संस्कृति में काफी महत्व होता है, जिसके चलते हिंदुओं में रुद्राक्ष पूज्यनीय माना जाता है. मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति स्वयं भगवान शंकर की आंखों से निकले आंसू से हुई थी. जिसके चलते जो कोई भी इसे धारण करता है उसके सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. रुद्राक्ष के बारे में एक कथा भी प्रचलित है, जिसमें कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने दुनिया के कल्याण के लिए सैकड़ों वर्षों तक तप कया था. तभी वह अचानक काफी दुखी हो गए, ऐसे में जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े. जिससे रुद्राक्ष का पेड़ उत्पन्न हुआ.


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हिंदू संस्कृति में रुद्राक्ष का काफी महत्व है. बता दें रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, जिनमें हर तरह के रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व होता है. शिवपुराण में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं. जिनमें एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी तक का अलग-अलग महत्व बताया गया है. तो चलिए बताते हैं आपको रुद्राक्ष के अलग-अलग प्रकार के महत्व के बारे में.



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एक मुखी रुद्राक्ष- ग्रंथों में एक मुखी रुद्राक्ष को स्वयं भगवान शिव का स्वरूप माना गया है. ऐसा कहा जाता है, जिसके पास एक मुखी रुद्राक्ष होता है वह बहुत ही किस्मत वाला होता है. एक मुखी रुद्राक्ष वाले व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव सदैव उस व्यक्ति की रक्षा करते हैं.
दो मुखी रुद्राक्ष- दो मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव और पार्वती का मिला-जुला रूप माना जाता है.
तीन मुखी रुद्राक्ष- तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से स्त्री हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है-
चार मुखी रुद्राक्ष- चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से नर हत्या से मुक्ति मिलती है.
पांच मुखी रुद्राक्ष- पांच मुखी रुद्राक्ष को लेकर मान्यता है कि इसे पहनने से अपराध से मुक्ति मिलती है.
छह मुखी रुद्राक्ष- छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय माना जाता है.
सात मुखी रुद्राक्ष- इसे पहनने से चोरी का डर नहीं होता. वहीं महालक्ष्मी की कृपा भी मिलती है.


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आठ मुखी रुद्राक्ष- शास्त्रों में आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश माना गया है.
नौ मुखी रुद्राक्ष- नौ मुखी रुद्राक्ष को बाएं हाथ में बाधने से गर्भहत्या से मुक्ति मिलती है.
दस मुखी रुद्राक्ष- दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु माना जाता है. इसे पहने से डर से मुक्ति मिलती है.
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भी भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है.
बारह मुखी रुद्राक्ष- बारह मुखी रुद्राक्ष से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है.
तेरह मुखी रुद्राक्ष- इसे धारण करने से समस्त भोग की प्राप्ति होती है.
चौदह मुखी रुद्राक्ष- इसे धारण करने से लोभ, मोह, माया से मुक्ति मिलती है.


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बता दें रुद्राक्ष में असली और नकली की पहचान करने के लिए इसे पानी में डालकर आप इसके असली और नकली होने का पता कर सकते हैं. अगर यह पानी में डूब जाता है तो यह असली रुद्राक्ष है और अगर पानी में तैरता रहेगा तो यह नकली रुद्राक्ष है. हालांकि व्यापारियों ने अब लकड़ी के ऐसे रुद्राक्ष भी बनाना शुरू कर दिया है, जो नकली होते हुए भी पानी में डूब जाता है. जिससे असली और नकली रुद्राक्ष में पहचान कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.