Maa Kushmanda: रोग और शत्रु के प्रहार को काटती है मां कूष्मांडा, करती है बलवान और दीर्घायु
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Maa Kushmanda: रोग और शत्रु के प्रहार को काटती है मां कूष्मांडा, करती है बलवान और दीर्घायु

Navratri 2023: शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि के चौथे दिन को देवी कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है. कुम्हड़ा, जिससे पेठा बनाया जाता है को संस्कृत में कूष्मांड कहते हैं, इसलिए देवी को कूष्मांडा भी कहा जाता है.

 

नवरात्रि 2023

Chaitra Navratri 2023: शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि के चौथे दिन को देवी कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है. अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अंड ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण, इन्हें कूष्मांडा के नाम से पुकारा गया. बताते हैं सृष्टि रचना के पहले हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, तब देवी की हलकी सी हंसी से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इन्हें आदि शक्ति या आदि स्वरूपा भी कहा गया. आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा के अलावा आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. इनका वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है. कुम्हड़ा, जिससे पेठा बनाया जाता है को संस्कृत में कूष्मांड कहते हैं, इसलिए देवी को कूष्मांडा भी कहा जाता है. सूर्य लोक में रहने के कारण ही इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य के समान चमकती है. 

इन देवी की आराधना से भक्त को रोग और शोक का भय नहीं रहता है और उसे आयु, यश, बल और आरोग्य मिलता है. सच्चे मन से इनकी पूजा करने वाले को बड़ी ही आसानी से उच्च पद प्राप्त होता है. देवी व्याधियों से मुक्ति प्रदान कर सुख समृद्धि प्रदान करती हैं.

देवी के नाम को समझिए 

‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘ष् ’ से ऊर्जा और ‘अंडा’ ब्रह्मांडीय गोले का प्रतीक है. हम सभी जानते हैं कि संपूर्ण ब्रह्मांड में ऊर्जा का संचार सूक्ष्म से वृहत अर्थात छोटे से बड़े में होता है. एक बीज भी बहुत छोटा होता है और फिर उससे बढ़कर फल बनता है और उसी फल से नए बीजों का जन्म होता है. इसी तरह चेतना अथवा ऊर्जा में भी सूक्ष्म से सूक्ष्मतम और विशाल से विशालतम होने का गुण है, जिसकी व्याख्या मां कूष्मांडा करती हैं. इसका अर्थ यह भी है कि देवी मां हमारे शरीर में प्राण शक्ति के रूप में उपस्थित हैं. कुम्हड़े के समान आप भी अपने जीवन में पर्याप्त और पूर्णता का अनुभव करें और साथ ही संपूर्ण जगत के हर कण में ऊर्जा और प्राणशक्ति का अनुभव करें. संपूर्ण जगत के हर कण में ऊर्जा और प्राणशक्ति, बुद्धिमत्ता का अनुभव करना ही कूष्मांडा है.

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