Maa Laxmi: पूरे त्रिलोक में लक्ष्मी यदि किसी के अधीन हैं तो वह हैं श्री विष्णु जी, इसलिए लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के पहले विष्णु जी को प्रसन्न करना आवश्यक है. जो लोग पूरे मनोयोग से विष्णु जी को पूजते हैं, उन्हें लक्ष्मी जी की कृपा सहज ही प्राप्त होने लगती है.
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Maa Laxmi Ko Manane Ke Upay: धन की देवी लक्ष्मी की आराधना कौन नहीं करता है. सभी चाहते हैं कि उनके घर पर ही लक्ष्मी जी का वास हो. लक्ष्मी लेकिन किसी एक के घर पर टिकती ही नहीं है. शास्त्रों के अनुसार, धन की देवी लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. देवलोक में ऐसे बहुत से देव और देवियां हैं, जो स्वभाव एवं प्रकृति से एक दूसरे के विपरीत हैं, किंतु उनका दांपत्य जीवन एक दूसरे का पूरक है. लक्ष्मी जी भी उसी कड़ी में हैं.
भगवान विष्णु जहां गंभीर और धीरज रखने वाले हैं, उनका स्वभाव शाश्वत और चिर स्थाई है. वहीं, मां लक्ष्मी चंचला हैं, वह अस्थाई हैं. वह कहीं भी अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं. दोनों के विचार और उद्देश्य भले ही एक हों फिर भी दोनों का स्वभाव अलग-अलग है. लक्ष्मी जी के स्वभाव के चंचल होने की कहानी भी बहुत ही रोचक है.
एक बार यही प्रश्न ब्रह्मर्षि नारद ने ब्रह्मा जी से किया. उन्होंने पूछा की माता लक्ष्मी चंचला क्यों हैं. उनके प्रश्न का ब्रह्मा जी ने उत्तर देते हुए कहा, यदि लक्ष्मी किसी के यहां स्थाई हो जाएं तो वह व्यक्ति धरती पर अपने अभिमान में चूर होकर तरह-तरह के कुकर्मों में लिप्त हो जाएगा. इसी कारण देवयोग से लक्ष्मी जी को चंचल मन दिया गया है. इस पूरे त्रिलोक में लक्ष्मी यदि किसी के अधीन हैं तो वह हैं श्री विष्णु जी. विष्णु जी के गुरुत्व में लक्ष्मी जी का अस्तित्व विलीन है, इसलिए लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के पहले विष्णु जी को प्रसन्न करना आवश्यक है. जो लोग पूरे मनोयोग से विष्णु जी को पूजते हैं, उन्हें लक्ष्मी जी की कृपा सहज ही प्राप्त होने लगती है. भगवान विष्णु जी के साधकों पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है.
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