Shiv Ji: भस्म से क्यों की जाती है महादेव की आरती, जानें क्या आज भी श्मशान से लाई जाती है भस्म?
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Shiv Ji: भस्म से क्यों की जाती है महादेव की आरती, जानें क्या आज भी श्मशान से लाई जाती है भस्म?

Mahakal Bhasma Aarti: उज्जैन में बने महाकाल मंदिर में आज भी महादेव की भस्म आरती की जाती है. पहले ये आरती चिता की राख से की जाती थी. लेकिन अब ये भस्त राख से नहीं बल्कि कुछ विशेष प्रकार से बनाई जाती है. 

 

ujjain bhasam aarti

Bhasma Arti in Mahakal Temple: भगवानव शिव को देवों के देव महादेव, त्रिकालदर्शी के नाम से भी जाना जाता है. देशभर में भगवान शिव के लाखों भक्त हैं. वहीं, देश के कोने-कोमे में 12 ज्योतिर्लिंग बनी हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यता है. ऐसा माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंग की दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के जीवन के सभी दुख-कष्ट नष्ट हो जाते हैं. साथ ही, व्यक्ति की पीड़ा का नाश होता है. बता दें कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन में स्थित महाकाल का मंदिर भी है. वहां, नियमित रप से महादेव की आरती भस्म से की जाती है.  

उज्जैन में होने वाली भस्म आरती देखने के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं, भगवान शिव की भस्त आरती क्यों की जाती है और ये भस्म कहां से लाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव का ऋंगार भस्म से किया जाता है. लेकिन ऐसा क्यो किया जाता है, आज हम जानेंगे इस लेख में.  

जानें उज्जैन में क्यों की जाती है भस्म आरती  

पौराणिक कथा के अनुसार उज्जैन में दूषण नाम के राक्षस ने एक बार तबाही मचा रखी थी. उसकी तबाही से वहां के ब्राह्मण बहुत परेशान थे. सभी ब्राह्मण अपनी समस्या लेकर भगवान शिव के पास गए और उस राक्षस से बचाने की प्रार्थना करने लगे. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने सभी ब्राह्मणों की प्रार्थना स्वीकार कर राक्षस दूषण को ऐसा न करने का कहा. लेकिन भगवान शिव के कहने के बाद भी राक्षस नहीं रुका.    

दूषण के बढ़ रहे प्रकोप से भगवान शिव के भक्त बहुत परेशान हो गए और त्राहि-त्राहि हो गए. तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर राक्षस दूषण को भस्म कर दिया और उसकी भस्म को अपने पूरे शरीर पर लगा लिया. तब से ये शुरुआत हुई और भगवान शिव का ऋंगार भस्म से किया जाने लगा. अब इसे भस्म आरती के नाम से जाना जाता है.  

इन 5 तत्वों से बनकी है भस्म

धार्मिक मान्यता है कि ऐज से कई साल पहले भगवान शिव की आरती के लिए भस्म श्मशान घाट से लाई जाती थी. लेकिन अब महाकाल की भस्म आरती के लिए श्मशान से भस्म नहीं लाई जाती, अब भस्म का तरीका बदल गया है. बता दें कि अब चिता की राख नहीं, बल्कि अब कई ऐसे तत्व हैं, जिससे भस्म तैयार की जाती है. 

बता दें कि भस्म बनाने के लिए पहले पीपल, कपिया गाय का गोबर से बने कंजे, शमी, पलाश की लकड़ी, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर बनाया जाता है. भस्म आरती होने के बाद इस भस्म को भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही, सभी प्रकार के रोग-दुख से मुक्ति मिलती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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