पुराणों के मुताबिक, फाल्गुन मास के दिन होने वाली शिवरात्रि पर भगवान शिव शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस पर्व को महाशिवरात्रि कहते हैं.
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नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान शिव शंकर पर लोगों को बहुत आस्था है. इसलिए देवों के देव महादेव को खुश करने वाला आस्था से परिपूर्ण महाशिवरात्रि का व्रत सबसे महत्वपूर्ण होता है. वैसे तो शिवरात्रि (चतुर्दशी) हर माह आती है मगर फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि कुछ ज्यादा ही खास होती है. इस बार महाशिवरात्रि चार मार्च को मनाई जाएगी. भारत में महाशिवरात्रि बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है. इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव को फल-फूल अर्पित करते हैं और शिवलिंग पर दूध व जल अर्पित करते हैं.
हुआ था भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह
पुराणों के मुताबिक, फाल्गुन मास के दिन होने वाली शिवरात्रि पर भगवान शिव शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस पर्व को महाशिवरात्रि कहते हैं.
व्रत रखने से पूरी होती है इच्छा
इस दिन भगवान शिव की पूजा पूरे विधि विधान की जाए तो आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन शिवरात्रि का व्रत रखने की भी परंपरा है. माना जाता है कि इससे सदैव भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि पुरुष व्रत करें तो उन्हें धन-दौलत, यश एवं र्कीत प्राप्त होती है, महिलाएं सुख-सौभाग्य एवं संतान प्राप्त करती हैं, कुंवारी कन्याएं सुन्दर एवं सुयोग्य पति पाने की कामना से यह व्रत करती हैं.
शिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि में पूजा का बड़ा ही महत्व है. चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं. इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्रों में इस तिथि को अत्यंत शुभ बताया गया है. गणित ज्योतिष के आंकलन के हिसाब से महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु-परिवर्तन भी चल रहा होता है. ज्योतिष के अनुसार, चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमजोर स्थिति में आ जाते हैं. चन्द्रमा को शिव जी ने मस्तक पर धारण किया हुआ. इसलिए शिवजी के पूजन से व्यक्ति का चंद्र सबल होता है, जो मन का कारक है. शिव की आराधना इच्छा-शक्ति को मजबूत करती है.