नई दिल्लीः सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इसे सबसे बड़ी अमावस्या माना गया है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान कर अक्षय पुण्यफल प्राप्त की जा सकती है. शिव महापुराण में मौनी अमावस्या का महत्व बताया गया है कि जो भी मनुष्य इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके सच्चे मन से दान करता है उस पर समस्त ग्रह-नक्षत्रों की कृपा बनी रहती है. ऐसे में 4 फरवरी को ही कुंभ मेले के तीसरे शाही स्नान का योग होने के कारण इस बार मौनी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है. यही नहीं इस बार मौनी अमावस्या सोमवार को पड़ रही है, जिसके चलते सोमवती और मौनी अमावस्या का महायोग बन रहा है.


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बन रहा है अद्भुत संयोग
बता दें यह मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का दुर्लभ योग पूरे 71 साल बाद बन रहा है. जिसके चलते संगम पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 4 करोड़ तक हो सकती है. मान्यता है कि इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में मौन रहकर डुबकी लगाने पर अनंत फल की प्राप्ति होती है. बता दें रविवार रात 2.27 बजे से 4.57 तक श्रवण नक्षत्र है. ऐसे में इस मुहूर्त में स्नान करना सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग सर्वप्रकार से अमृततुल्य है.


क्या है मान्यता
मान्यता है कि जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले तो देवताओं और राक्षसों की लड़ाई की वजह से अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे संगम में गिर गई थी, इसलिए नदी स्नान से अमृत प्राप्त होता है जो ग्रह कष्ट निवारण में सहायक होता है. इस दिन भगवान मनु का भी जन्म हुआ था. इस व्रत को मौन धारण करके व यमुना या गंगा में स्नान करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है. चंद्रमा मन के स्वामी हैं पर अमावस्या को चंद्र दर्शन नहीं होने से मन कमजोर होता है. अतः मौन रखकर मन को संयम में रखने और मानसिक जाप करने से मन शांत रहता है. जिससे जीवन में भी शांति बनी रहती है.


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क्या करें
मौनी अमावस्या के दिन सुबह उठकर सूर्योदय से पहले पानी में गंगाजल डालकर मौन रहकर स्नान करें. इसके बाद एक आसन पर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठें औऱ तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें. रुद्राक्ष की माला के साथ गायत्री मंत्र का जाप करें और लोटे में रखे गंगाजल का घर के सभी कोनों पर छिड़काव करें. इससे घर में मौजूद नकारात्मकता दूर होगी और परिवार के सभी लोगों के स्वास्थ्य में लाभ होगा. अगर कोई बीमार व्यक्ति है तो उसे इस जल का सेवन जरूर कराएं. इसके बाद गरीबों को भोजन कराएं और दान दें.