Moti Dungri Temple: अगर आप मंदिर दर्शन के शौकीन हैं तो आप राजस्थान में मोती डूंगरी गणेश मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. मान्यता है कि अगर आप यहां दर्शन करते हैं तो आपके सारे विघ्न चुटकियों में ही भगवान गणेश हर लेते हैं.
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Moti Dungri Temple: भारत में जब भी पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिर की चर्चा होती है तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम सबसे पहले लिया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान में भी गणपति भगवान का एक मंदिर है जिसकी खूब मान्यता है.यह मंदिर है मोती डूंगरी गणेश मंदिर. यह मंदिर मोती डोंगरी पहाड़ी की चोटी पर है. जो कि राजस्थान के जयपुर में है. यह मूर्ति सिंदूर से ढकी हुई है.
बांई ओर है गणेश जी का सूंड
इस मंदिर का निर्माण 1761 ईस्वी में हुई थी. सेठ जय राम पालीवाल की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. भगवान गणेश की इस मंदिर में तीन गुंबद हैं. यहां भगवान गणेश बैठे हुए मुद्रा में नजर आते हैं जबकि इनकी सूंड बांई ओर है जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ है. इस हिंदू मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अव्वल दर्जे का है.
एकसाथ तीन मंदिर के होंगे दर्शन
मोती डोंगरी की पहाड़ी पर अगर आप गणेश भगवान के दर्शन करने जाते हैं यहां आपको तीन मंदिर मिलेंगे. एक में भगवान गणेश विराजमान हैं तो दूसरे में वीर बजरंगबली हनुमान और तीसरे में देवों के देव माहदेव हैं. मुख्य मंदिर कि अगर बात करें तो यहां गणेश भगवान की मूर्ति को चोल नामक सिंदूर के लेप से ढक दिया गया है.
इस वक्त बदला जाता है चोला
विशेष अवसरों और त्योहारों के समय इस चोले को बदला जाता है. जिस वक्त चोला बदला जाता है उस समय मान्यता के मुताबिक भगवान गणेश को दुग्ध स्नान कराया जाता है. गणेश भगवान के सामने उनके वाहन मुशक की एक विशाल मूर्ति भी रखी गई है.
ये है दर्शन का समय
विघ्नहर्ता गणेश जी का मंदिर पूरे हफ्ते खुला रहता है. यहां दर्शन का समय सुबह पांच बजे से लेकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट और शाम को 4 बजकर 30 मिनट से लेकर रात के 9 बजे तक होता है. बीच में मंदिर को करीब ढाई घंटे के लिए बंद रखा जाता है. मंदिर परिसर में हर बुधवार के दिन मेले का आयोजन किया जाता है.
सात बार होती है आरती
इस मंदिर में हर दिन सात आरती होती है. जिसमें सबसे पहले मंगल आरती सुबह 4:30 बजे. धूप आरती सुबह 7:15 बजे. श्रृंगार आरती सुबह 9:15 बजे. राजभोग आरती 11:00 बजे. ग्वाल आरती शाम 6:30 बजे, सांध्य आरती 7:15 बजे और अंतिम आरती जिसे शयन आरती कहते हैं वह रात 9 बजकर 15 मिनट पर होती है.
'गणपति बप्पा मोरिया', 'जय श्री गणेश' की ध्वनि के साथ भक्तों की ओर से विघ्नहर्ता गणेश को मोदक चढ़ाया जाता है. यहां के लिए सबसे बड़ी पूजा पौष महीने में होती है. इस दौरान मूंग दाल से बने लड्डू का भोग लगाया जाता है.
मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर कैसे पहुंचे
यह मंदिर सड़क मार्ग से राजस्थान के जयपुर शहर से कनेक्ट है. यहां सड़क मार्ग और रेलवे के जरिए भक्त आसानी से पहुंच सकते हैं. मंदिर के सबसे करीब गांधी नगर जयपुर रेलवे स्टेशन है. इसके अलावा कोई भक्त हवाई मार्ग से दर्शन के लिए जाना चाहता है तो वह जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरकर वहां से निजी टैक्सी या कैब लेकर बप्पा का दर्शन कर सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)