Nadiyon ka Sangam: भारत में है दुनिया का वो इकलौता स्थान, जहां 5 नदियों का होता है संगम; उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
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Nadiyon ka Sangam: भारत में है दुनिया का वो इकलौता स्थान, जहां 5 नदियों का होता है संगम; उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

Confluence of 5 Rivers: बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत में एक ऐसा महातीर्थराज स्थल भी है, जहां 5 नदियों का संगम होता है. इस तरह का यह दुनिया का इकलौता स्थान है. 

Nadiyon ka Sangam: भारत में है दुनिया का वो इकलौता स्थान, जहां 5 नदियों का होता है संगम; उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

Panchnad in UP: भारत को नदियों का देश भी कहा जाता है. यहां पर उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक दर्जनों छोटी-बड़ी नदियां हैं, जो करोड़ों लोगों की प्यास बुझाने के साथ ही खेती के लिए भी जीवनदायिनी का काम करती हैं. इनमें से कई नदियां एक खास बिंदु पर आकर दूसरे में समाहित हो जाती हैं. ऐसे स्थानों को संगम या प्रयाग कहा जाता है. उदाहण के लिए प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां 1-2 नहीं बल्कि 5 नदियों का संगम होता है. इस स्थल पर स्नान करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. आइए जानते हैं कि भारत में यह अनोखी जगह कहां पर है. 

यूपी में इस जगह है ये अनोखा तीर्थ

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की यह अनोखी जगह यूपी में इटावा और जालौन की सीमा के पास स्थित है. इस जगह को 'पंचनद' (Panchnad) के नाम से जाना जाता है. उसे यह नाम 5 नदियों के संगम की वजह से मिला है. स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्हें प्रकृति से मिला यह अनोखा और बहुत बड़ा उपहार है. दुनिया में यह इकलौती जगह है, जहां पर 5 नदियों का संगम देखने को मिलता है. 

होता है 5 नदियों का संगम

इस जगह पर चंबल, कुंवारी, सिंध, यमुना और पहज नदियों का मिलन होता है. 'पंचनद' (Panchnad) को काफी लोग महातीर्थराज के नाम से पुकारते हैं. हर साल इस संगम में स्नान करने के लिए करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. शाम को वहां पर रंग-बिरंगी लाइट जलने पर नदियों की खूबसूरती देखते ही बनती है. 

प्रचलित हैं कई कहानियां

इस स्थल के बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. कहते हैं कि महाभारत काल में भ्रमण के दौरान पांडव 'पंचनद' (Panchnad) के पास रुके थे और वहीं पर भीम ने  बकासुर का वध किया था. एक अन्य कहानी ये है कि तुलसीदास जी ने महर्षि मुचकुंद की परीक्षा लेने के लिए पंचनद की पदयात्रा शुरू की. वहां पहुंचकर तुलसीदास जी ने पानी पिलाने का आग्रह किया, जिस पर महर्षि मुचकुंद ने अपने कमंडल से जल छोड़ा. कहते हैं कि कमंडल से गिरा वह जल कभी खत्म नहीं हुआ. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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