Trimbakeshwar Temple: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग हुआ था स्वयं प्रकट, जहां राहुल गांधी ने पूजा कर लिया महादेव का आशीर्वाद
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Trimbakeshwar Temple: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग हुआ था स्वयं प्रकट, जहां राहुल गांधी ने पूजा कर लिया महादेव का आशीर्वाद

Nasik Trimbakeshwar Temple: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग नासिक के त्र्यंबकेश्वर में स्थित, जहां बीते दिन काग्रेंस नेता राहुल गांधी ने पूजा-अर्चना कर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त किया. आइए जानते हैं त्र्यंबकेश्वर मंदिर को लेकर यहां की मान्यताएं. 

 

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Trimbakeshwar Temple History: हिंदू शास्त्रों में नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर को पवित्र स्थलों में से एक माना गया है. इसे भगवान शिव के भक्तों के लिए बड़ा तीर्थस्थल माना गया है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर में भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और भगवान विष्णु का वास भी है. इसलिए इसी मान्यता अन्यों से ज्यादा है. ऐसा माना जाता है कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं हुई थी. अर्थात इसे किसी ने स्थापित नहीं किया था. ये मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है. जानें त्र्यंबकेश्वर मंदिर से जुड़ी खास बातें. 

बता दें कि बीते दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महादेव के इस मंदिर के दर्शन कर पूजा-अर्चना की. इससे पहले वे देवघर में बैद्यनाथ मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल के दर्शन को पहुंचे थे. ऐसे में जानते हैं नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर को लेकर क्या मान्यताएं हैं और इसका पौराणिक महत्व. 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर की पौरणिक कथा

शास्त्रों के अनुसार त्र्यंबकेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत रोचक है. ऐसी मान्यता है कि यहां कई ऋषि एक साथ रहते थे. लेकिन इनमें से कुछ ऋषि गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते थे. एक बार कुछ ऋषियों ने मिलकर गौतम ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा दिया और उनसे कहने लगे कि आपको अपना पाप मिटाने के लिए देवी गंगा को यहां लाना होगा. 

तब गौतम ऋषि ने यहां पर एक शिवलिंग की स्थापना की और पूजा करने लगे. गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव मां पार्वती के साथ प्रकट हुए और गौतम ऋषि से वरदान मांगने के लिए कहा. तब उन्होंने गंगा को भेजने के लिए कहा. लेकिन गंगा देवी ने कहा कि अगर यहां शिव जी भी रहेंगे, तो ही वे इस स्थान पर रहेंगी. तब वहां शिव जी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने को तैयार हो गए. 

यहां स्थापित हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर में छोटे-छोटे तीन शिवलिंग हैं. इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम से जाना जाता है. वहीं, त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बाहर तीन पर्वत स्थित हैं. जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है. मूर्ति के चरणों पर बूंद-बूंद करके पानी टपकता रहता है, जो पास ही स्थित एक कुंड में जमा हो जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)    

 

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