शारदीय नवरात्र: अलौकिक सिद्धियां प्रदान करती हैं मां सिद्धिदात्री, ऐसे करें पूजा
Advertisement
trendingNow1772448

शारदीय नवरात्र: अलौकिक सिद्धियां प्रदान करती हैं मां सिद्धिदात्री, ऐसे करें पूजा

नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. लोकविश्वास है कि मां सिद्धिदात्री की अगर सच्चे मन से आराधना की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती हैं.

मां सिद्धिदात्री के बिना अधूरी है आराधना.

नवरात्र (Navratri 2020)  के आखिरी दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा अर्चना की जाती है. शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का ये रूप सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाला है. मां सिद्धिदात्री आपको बिगड़े काम बनाने और बुराई से लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं. लोकविश्वास है कि मां सिद्धिदात्री की अगर सच्चे मन से आराधना की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती हैं. देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं.

  1. देवता भी करते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा

    बुद्धि और सिद्धि प्राप्त होती है पूजा से

    मां सिद्धिदात्री के बिना अधूरी है आराधना

देवता भी करते हैं आराधना
मां सिद्धिदात्री को देवताओं को भी सिद्धि देने वाली देवी माना जाता है. देवी पुराण में इसका उल्लेख है. भगवान शिव ने भी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री की उपासना की थी. इसीलिए लोकआस्था है कि मां सिद्धिदात्री केवल मुनष्य के लिए ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी के लिए आराध्य हैं.  नवरात्र की आराधाना भी इनके बिना आधूरी है. सिद्धि के साथ-साथ ये बुद्धि की स्वामिनी हैं क्योंकि सिद्धिदात्री मां को मां सरस्वती का भी स्वरुप माना जाता है. आइए अब आपको बताते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना विधि और मंत्र.

यह भी पढ़ें: राशिफल 25 अक्टूबर: जानिए दशहरे के खास मौके पर कैसा रहेगा आपका दिन

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
सर्व प्रथम चौकी पर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें. इसके बाद आरती की जाए. आरती के बाद हवन करें. हवन करते समय साधक को सभी देवी-देवताओं को याद करना चाहिए. सभी देवी देवताओं के नाम की हवनकुण्ड में एक-एक आहुति दें. फिर मां सिद्धिदात्री का ध्यान लगाएं. मां सिद्धिदात्री से हाथ जोड़कर सुख शांति के लिए प्रार्थना करें और दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्रों के साथ आहुति दें. शक्ति मंत्र ‘ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:’ का उच्चारण करते हुए 108 बार हवनकुण्ड में आहुति दें. 108 आहुति के बाद पूर्ण आहुति दें. इसके बाद नवग्रह शांति के लिए प्रार्थना करें और हवनकुण्ड के चारों तरफ जल अर्पित करें. भगवान शिव और ब्रह्मा जी को स्मरण करें. इसके बाद मां को प्रसाद का भोग लगाएं और स्त्रोत पाठ करें.  

स्त्रोत पाठ
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

VIDEO

Trending news