मेहंदी लगाने से कई तरह के लाभ भी होते हैं. कहते हैं कि इससे व्यक्ति का मन शांत रहता है. उसे गुस्सा नहीं आता. चिड़चिड़ापन नहीं सताता. मेहंदी लगाने से व्यक्ति का फोकस और याददाश्त में इजाफा होता है. कहते हैं जोड़ों के दर्द में भी मेंहदी लगाने से आराम मिलता है.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती भगवान शिव को आकर्षित करने के लिए अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाती हैं. कहते हैं कि मां पार्वती की हाथों पर लगी मेहंदी के रंग और खुशबू ने भोलेनाथ को आकर्षित कर लिया. तभी से हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा है. इसे ऋंगार का ही एक हिस्सा माना जाता है.
हरियाली तीज का व्रत सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी मनवांछित वर की इच्छा के लिए व्रत रखती हैं. फलाहरा करती हैं. सुबह स्नान आदि के बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. दिनभर मां पार्वती की उपासना की जाती है. सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन मां पार्वती और भगवान शिव का फिर से मिलन हुआ था. ऐसे में महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत रखती हैं. आजकल हरियाली तीज पर महिलाएं हाथों में भगवान शिव और मां पार्वती का चेहरा बना कर उनके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करती हैं.
हरियाली तीज पर मेहंदी का खास महत्व बताया गया है. हाथों में मेहंदी के बिना कोईभी पर्व अधूरा है. इस मौके पर मेहंदी से हाथों को रंगना शुभ माना जाता है. दिनों-दिन मेहंदी का क्रेज महिलाओं में बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि मेहंदी लगाने से पति की उम्र लंबी होती है.
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