सांसारिक मोह से परे होते हैं साधु. इन्हें संसारिक जीवन और भोग-विलास से कोई मतलब नहीं होता. नागा साधुओं (Naga Baba) का जीवन बेहद रहस्यमयी होता है. इनका जीवन कितना मुश्किल है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. तस्वीरों में देखिए कि कैसे बनते हैं नागा बाबा (How To Become Naga Baba).
महर्षि वेद व्यास ने सबसे पहले संगठित रूप से वनवासी संन्यासी की परंपरा शुरू की थी. इसके बाद शुकदेव ने, और फिर एक एक करके कई अन्य ऋषि और संतों ने इस परंपरा को अपने तरीके से आगे बढ़ाया. आपको बता दें कि बाद में शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित कर दसनामी संप्रदाय की स्थापना की. और फिर यहां से अखाड़ों की परंपरा शुरू हुई.
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नागा साधुओं के त्याग की कहानी शुरू होती है इनके वस्त्र त्याग से. ये मानते हैं कि कपड़े बस तन ढ़कने का काम करते हैं, और इनके लिए कपड़ों का कोई महत्व नहीं होता है. नागा साधुओं को शरीर ढकने से लेकर किसी भी तरह के भौतिक चीजों से कोई लगाव नहीं होता है. नागा बाबा आत्मा की पवित्रता पर को मानते हैं. ये नश्वर शरीर के लिए कपड़ों का त्याग कर देते हैं.
नागा बाबा (Naga Baba) बनने के लिए बहुत कठोर साधना करनी पड़ती है. इन्हें 24 घंटे नागा रूप (Naga Baba Miracles) में अखाड़े के ध्वज के नीचे बिना आहार के खड़ा होना पड़ता है. इतना ही नहीं, इस दौरान उनके कंधे पर एक दंड और हाथों में मिट्टी का बर्तन होता है. इस प्रक्रिया के दौरान पूरे समय अखाड़े के पहरेदार उन पर कड़ी नजर रखते हैं.
इसके बाद अखाड़े के वरिष्ठ नागा साधु दीक्षा ले रहे नागा के लिंग को झटके देकर वैदिक मंत्रों के साथ निष्क्रिय कर देते हैं. इन सारी कठिन प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही कोई नागा बाबा (Naga Baba) बन पाता है.
आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि सांसारिक मोह-माया से दूर नागा साधु ब्रह्म मुहूर्त में 17 तरह के शृंगार करते हैं. नागाओं का अनूठा शृंगार कुंभ मेला (Kumbh Mela) में आकर्षण का केंद्र रहता है. इसकी अपनी एक अलग विधि है. ये साधु विशेष अवसरों पर ही खुद को सजाते हैं और अपने इष्ट देव विष्णुजी या शंकरजी का ध्यान करते हैं. बता दें कि इनका 17वां शृंगार यानी कि भस्मी अर्थात भभूति शृंगार बेहद खास माना जाता है, जो इन्हें महिलाओं से कई कदम आगे करता है.
नागा साधु सुबह चार बजे यानी ब्रह्म मुहूर्त में जग जाते हैं. नित्य क्रिया व स्नान से निपटने के बाद नागा बाबाओं का पहला काम शृंगार करना होता है. इसके बाद ही ये ध्यान, हवन, बज्रोली, प्राणायाम, कपाल क्रिया व नौली क्रिया करते हैं. इतनी कठोर साधना करने वाले नागाओं का भोजन दिनभर में एक बार शाम को होता है, जिसके बाद ये सोने चले जाते हैं (Naga Baba Life).
अब आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि आखिर इस कठोर साधना के साथ नागा बाबा (Naga Baba Life) कहां रहते हैं? नागा साधु अपनी साधना के लिए अखाड़े के आश्रम और मंदिरों में धुनी रमाते हैं. कुछ साधु कठोर तप के लिए हिमालय के जंगलों में मौजूद मंदिरों या ऊंचे पहाड़ों की गुफाओं में जीवन बिताते हैं.
नागा साधुओं का भारतीय संस्कृति में बेहद योगदान है. संतों की तेरह अखाड़ों में सात संन्यासी अखाड़े नागा साधु बनाते हैं. इनमें जूना अखाड़ा, महानिर्वणी, अग्नि, निरंजनी, अटल, आनंद और आवाहन अखाड़ा शामिल हैं. आस्था के महासंग्राम कुंभ मेला (Kumbh Mela) में इन सभी अखाड़ों के साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं.
सबसे बड़ी बात, ये साधु अखाड़े के आदेशानुसार ही पैदल भ्रमण करते हैं. आप जान कर दंग रह जाएंगे कि नागा बाबा (Naga Baba) मैदानी हिस्सों और पहाड़ों पर एक सा ही जीवन व्यतीत करते हैं.
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