धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनि के प्रकोप से मनुष्य ही नहीं देवता भी कांपते हैं. शनि देव को न्यायधीश और कर्मफलदाता के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि शनिदेव व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं और उसी के मुताबिक ही फल देते हैं. अच्छे कर्म करने वालों को शुभ और बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि शनि की दशा से मुक्ति पाने के लिए सबसे आसान उपाय रामभक्त हनुमान जी की शरण लेना है. कहते हैं कि हनुमान जी की पूजा करने वाले लोगों को शनि देव कभी परेशान नहीं करते. कहते हैं कि बजरंग बली की कृपा से शनि देव द्वारा दिए जा रहे कष्ट दूर होते हैं. शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर का चोला तथा प्रसाद चढ़ाने से ग्रहों के अशुभ प्रभावों के साथ शनि के प्रकोप से भी बचा जा सकता है.
कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा करने से भी शनि के प्रभाव कम होते हैं. मान्यता है कि जो लोग शनि के प्रकोप से गुजर रहे है, उन्हें नियमित रूप से शिव जी पर गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए. साथ ही शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से भी लाभ होता है.
शिव जी की कृपा पाने से शनि देव खुद प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर बुरी नजर नहीं डालते. मान्यता है कि शिव जी की कृपा से शनि, राहु और केतु सहित सभी नौ ग्रह अपना अशुभ प्रभाव त्याग देते हैं और शुभ फल देने लगते हैं. नियमित रूप से शिव का अभिषेक करने वाले व्यक्ति को कभी कोई कष्ट नहीं सताता.
शनिवार के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि संबंधित चीजों का दान करें. शनिवार को काले रंग के वस्त्र, जूते, छाता, काला कंबल, सरसों का तेल, लोहा आदि का दान करना लाभदायी रहता है. इन उपायों को करने से भी शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं. अगर आप इनमें से कोई भी उपाय करने में असमर्थ हैं, तो किसी निर्धन व्यक्ति को सच्चे मन से सहायता कर दें, इससे भी शनि प्रसन्न हो जाते हैं.
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