इस बार महाशिवरात्रि का ये महापर्व 21 फरवरी (शुक्रवार) को मनाया जाएगा.
भगवान शिव के शिवलिंग पर कभी भी हल्दी न चढ़ाएं. हल्दी वैसे तो काफी शुभ मानी जाती है. हल्दी का इस्तेमाल करीबन हर पूजा-अर्चना में किया जाता है लेकिन शिवलिंग के पूजन में हल्दी को शामिल नही किया जाता है. दरअसल शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है सिर्फ इसी वजह से हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.
शिव को बेहद ही सीधा और सरल माना जाता है. शिव की अराधना करने भर से ही शिव प्रसन्न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि की रात में जागरण करके शिव पुराण का पाठ करने से भी आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. हमेशा शिव मंत्रो का जाप करें. शिव भजन करने से भी लाभ मिलेगा.
महाशिवरात्रि के दिन दही, शहद और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें. महाशिवरात्रि के दिन बेहतर स्वास्थ्य की इच्छा रखने वालों को जल में दुर्वा मिलाकर शिव जी को अर्पित करना चाहिए। जितना अधिक संभव हो महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
इस महाशिवरात्रि गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इस बात को नकारा नही जा सकता है कि शिव को गंगा हमेशा से प्रिय रही है. शिव की जटाओ में भी मां गंगा का वास है.
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।
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