Premanand Ji Maharaj: भगवान के अस्तित्व को स्वीकार न करने वाले लोग जान लें प्रेमानंद जी महाराज का जवाब
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Premanand Ji Maharaj: भगवान के अस्तित्व को स्वीकार न करने वाले लोग जान लें प्रेमानंद जी महाराज का जवाब

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार इन दिनों लोगों को काफी भा रहे हैं. हाल ही में एक सत्संग के दौरान व्यक्ति ने जब यह पूछ लिया कि अभी तक उसने संतों को पाखंडी समझा और उनके प्रति कोई इज्जत की भावना मन में नहीं थी साथ ही भगवान के अस्तित्व को भी कभी नहीं स्वीकारा. ऐसे में मेरा अपराध क्षमा लायक नहीं है मुझे क्या करना चाहिए! जिस पर प्रेमानंद जी ने क्या कहा आइए जाने.

 

premanand ji maharaj

Premanand Ji Maharaj Video: प्रेमानंद जी महाराज के विचार आजकल लोगों के पथप्रदर्शक का काम कर रही है. हाल ही में उनके एक सत्संग में जब एक व्यक्ति ने बड़े ही आश्चर्य में डाल देना वाला प्रश्न किया तो सभी लोग अचंभित रह गए. जिस पर प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े ही सरलता से उस व्यक्ति के मन में चल रहे प्रश्न को अपने जवाब से हल कर दिया. उस साधक का प्रश्न था कि, 'गुरुदेव मेरा प्रश्न है कि मैं आज तक संतों के प्रति इज्जत की भावना नहीं की, उनके प्रति मेरे मन में पाखंडी दोष साथ ही भगवान के अस्तित्व को मैंने कभी स्वीकार नहीं किया. मेरा अपराध क्षमा लायक है क्या, मुझे इसके लिए क्या करना चाहिए'. जानें इस सवाल पर प्रेमानंद जी के विचार. 

संत में है कई माताओं के हृदय

प्रेमानंद जी महाराज ने व्यक्ति के इस सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि आपके अपराध नष्ट हो चुके हैं तभी नाम में प्रीति हुई है. संत माता के हृदय के समान होते हैं. संत कई माताओं के हृदय को मिलाकर बने हैं. 

माता के समान संत भी बच्चों का चाहते हैं हित 

प्रेमानंद जी ने एक उदाहरण के तौर पर बताया कि जैसे माता को अशुद्ध शब्द भी बोल लो या उनको अपमानित कर दो तो उनका हृदय यही चाहेगा कि आपको कभी चोट भी नहीं पहुंचे. मां हमेशा अपने बच्चे के लिए चाहेगा कि वह हमेशा स्वस्थ रहे. ठीक वैसे ही संतों का भी हृदय होता है. वास्तविक जो भगवान के मार्ग के पथिक होते हैं उनकी जब कोई अवहेलना करता है या निंदा करता है, अपमान करता है. वो उन पर कृपा करते हैं रोष नहीं दिखाते.

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विभिषण ने भी अपमान में खोजा सम्मान

प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि जैसे कैलाश पर्वत से भगवान शिव ने देखा विभिषण को रावण ने लात मारी. जिस पर विभिषण ने हाथ जोड़ कर कहा कि भले ही तुमने मुझे मारा राम भजे नाथ तुम्हारा. भगवान शिव बोल पड़े देखो उमा विभिषण संत है. यही संत की महीमा है वो लात मार रहा है पर वो तब भी हाथ जोड़ कर उपदेश कर रहे हैं कि राम भजे हित नाथ तुम्हारा. 

 

 

संतों को पाखंडी समझने का भाव बदल गया तो कोई पाप नहीं किया

प्रेमानंद जी ने कहा कि सभी संतों को मन से प्रणाम करो ये लोग माता के समान हैं तुमने कोई अपराध नहीं किया हैं. संत बड़े कृपालु होते हैं, यदि उनकी कृपा ना होती तो आज आपका भाव ना बदलता. यदि बदल गया तो अपराधी का अभाव नहीं बदला, आप अपराधी नहीं है. यह जान लें कि अपराधी का कभी भी भाव नहीं बदलता. इसका मतलब जो भी आपने अभी तक किया संतों ने माना ही नहीं, भगवान ने माना ही नहीं, तभी तो हमें रास्ता मिला. इसलिए हर समय राधा राधा कृष्ण कृष्ण जो भी नाम गुरुदेव ने आपको दिया हो उसके नाम का जाप करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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