Premanand Ji Maharaj: 6 साल के मृत बच्चे के गम में डूबे परिजन कैसे निकले दुख से बाहर, जानें प्रेमानंद जी का जवाब
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Premanand Ji Maharaj: 6 साल के मृत बच्चे के गम में डूबे परिजन कैसे निकले दुख से बाहर, जानें प्रेमानंद जी का जवाब

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज से सत्संग के दौरान एक अभिभावक ने जब भावुक कर देने वाला प्रश्न किया कि हमारा 6 साल का लड़का हमें छोड़ कर चला गया तो क्या यह परिक्षा है या ये हमारे कर्मों का फल है! जानें इस पर प्रेमानंद जी ने क्या जवाब दिया.

 

pemanand ji maharaj

Premanand Ji Maharaj Video: प्रेमानंद जी महाराज के विचार हमेशा से ही व्यक्ति को आकर्षित करते आए हैं. प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों को जीने का एक नया रास्ता दिखाते हैं. हाल ही में एक सत्संग के दौरान उन्होंने 6 साल के बच्चे को गंवा दिया अभिभावकों को जीना रास्ता दिखाया और इतने बड़े दुख से बाहर कैसे आया जाए, ये भी बताया.

प्रेमानंद जी का एक वीडिया इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में हैं. उस पर उसने प्रेमानंद जी के सामने यह  प्रश्न रखा कि हमारा 6 साल का लड़का हमें छोड़ कर चला गया तो क्या यह परिक्षा है या ये हमारे कर्मों का फल है! जानें इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने अपने कैसे सुविचार सभी के सामने रखें, आइए जानें.

मानव शरीर का पहले से ही समय है निर्धारित

प्रेमानंद जी महाराज ने इस प्रश्न पर कहा कि उस जीव को उतने ही समय के लिए भेजा गया था और आपका कर्म उससे संबद्ध रखता है. जो चला गया है उसका पूरे परिवार से संबद्ध होता है. अब वो चला गया है तो अंदर से जलोगे आप, उसका कष्ट भोगोगे. वो धरती पर कुछ समय के लिए हमारे बीच आया और भोगा कर के चला गया. उसने आपको लालच में, मोह में फसाया. मेरा पूत्र बढ़ियां पढ़ लिख कर सियाना बनेगा. यह चाहत सभी पैरेंट्स की अपने बच्चों से होती है, पर वह बीच से ही चला जाता है. अब जलो और अब रो उसके लिए.

 

 

सब कर्मों का ही फल है

प्रेमानंद जी ने आगे बताया कि यह भोग भोगा जा रहा है कर्म का. इसी से मुक्त होने के लिए अध्यात्म है. जो जीव मां के गर्भ में ही चले जाते हैं, कुछ बाहर आ कर कुछ समय में ही चले जाते हैं, कुछ यौवन अवस्था में चले जाते हैं तो कोई परिपक्व अवस्था में चले जाते हैं. उसमें भी वह प्रकट हो कर आपको दुख देना चाहेगा वह आचरण करेगा कि जिंदा में रोते ही रह जाओगे. और सुख देना है तो वह आचरण करेगा कि सोच सोच कर उसके लिए आनंद से छाती फुलेगी. यह कर्मों का भोग है.

मोह में कभी नहीं आना चाहिए वरना छुटकारा नहीं मिलता

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि नाम जप करते हुए भगवान से प्रार्थना करो कि जो चला गया है उसका भी मंगल हो जाए, जो हमारे समीप आया था. प्रभु हमारे मोह से हमें मुक्त करो, हमारा हृदय आपके चरणों में लगे. मरने का जब समय आता है और उसने भजन नहीं किया तो उसे यही सब चिंतन होता है कि यह घर छुट गया इतना बढ़िया, यह परिवार सब छुटा जाएगा. अब जाना कहां उसे इसका कोई चींता नहीं है बस उसे चींता रहती है कि जाना है. 

ऐसे में वह छिपकली बन कर उसी घर में इधर उधर घूमता रहता है, स्वान कुत्ता बन कर दरवाजे पर बैठा रहेगा. यह बड़ा ही वीचित्र खेल है, इसलिए नाम जप करो और अज्ञान का भगवान से प्रार्थना करो कि नास कर दें जिससे कि हम इस संसार से मुक्त हो जाए, यह बड़ा दुखमय संसार है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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