Ram Katha: क्रोध में आकर नारद जी ने भगवान श्री हरि को दे दिया था ये श्राप, विष्णु जी से की थी इस चीज की मांग
Advertisement
trendingNow11286150

Ram Katha: क्रोध में आकर नारद जी ने भगवान श्री हरि को दे दिया था ये श्राप, विष्णु जी से की थी इस चीज की मांग

Ram Katha in Hindi: राम कथा में आज हम जानेंगे नारद जी ने विष्णु भगवान से रूप की मांग क्यों की थी. और मन के मुताबिक चीज न मिल पाने पर नारद जी क्रोधित हो गए और श्री हरि को श्राप दे डाला. 

 

फाइल फोटो

Ramayan Story: नारद जी के तंज कसने पर प्रभु राम ने ही उन्हें प्रमाण दिया था कि भगवान से ऊपर केवल उनके भक्त होते हैं. यह प्रसंग जुड़ा है देवर्षि नारद के मोह से. एक बार नारद जी तप कर रहे थे. इंद्र ने समझा कि नारद स्वर्ग का राजा बनने की इच्छा से तप कर रहे हैं, तो  उन्होंने कामदेव को नारद जी की तपस्या भंग करने को भेजा. कामदेव के तमाम प्रयास के बाद नारद जी का ध्यान भंग नहीं हुआ तो काम डर गया और नारद जी से क्षमा याचना करके लौट गया. 

देवर्षि नारद में आ गया था अहंकार

नारद जी को अभिमान हो गया कि उन्होंने काम को जीत लिया है. यह प्रसंग उन्होंने पहले शंकर जी, फिर भगवान विष्णु को सुनाया. श्री हरि समझ गए कि नारद को अहंकार ने घेर लिया है. उनके भले के लिए प्रभु ने नारद को माया के वशीभूत किया तो वे एक राजकुमारी पर मोहित हो गए और उससे विवाह के लिए भगवान से सुंदर रूप की मांग करने लगे. भगवान ने उन्हें वानर का रूप देकर स्वयंवर में भेज दिया. कन्या ने उनका रूप देखा तो क्रोध से भर उठी. इसी बीच श्री हरि राजा के वेष में वहां आए और कन्या को ब्याह कर ले गए. ये कन्या कोई और नहीं उनकी माया ही थी. 

और नारद ने दे दिया श्री हरि को श्राप 

यह देख क्रोध से आग बबूला नारद ने भगवान को श्राप दिया  कि धरती पर नर रूप में आप भी नारी के विरह की वेदना झेलोगे. नारद यहीं नहीं रुके, गुस्से  में भरकर बोले कि आपके ऊपर कोई नहीं है न, इसी से आप मनमानी करते हो. प्रभु यह सोचकर मुस्कुरा दिए कि समय आने पर नारद को इस बात का जवाब देंगे. लंका पर चढ़ाई के दौरान जब वानर सेना समुद्र के किनारे पहुंची तो प्रभु की आज्ञा पाकर वानर भालू फल खाने लगे. 

प्रभु तरु तर कपि डार।

पर ते किए आपु समान।।

तुलसी कहूं न राम से।

साहिब सील निधान।। 

वानर पेड़ों के ऊपर थे और प्रभु राम पेड़ के नीचे बैठे थे. उसी समय प्रभु ने स्मरण करके नारद को बुलाया और कहा, देखो नारद हमारे ऊपर हमारे भक्त हैं. तभी तो गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी लिखा है.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

 

Trending news