Angad Rawan Stroy: एक दिन भगवान राम को लगा कि रावण के सामने युद्ध टालने के लिए अंतिम प्रयास करना चाहिए. इसके लिए उन्होंने अंगद को दूत बनाकर शांति का प्रस्ताव रावण के पास भेजा. अंगद की बातों को न मानते हुए रावण अपनी भुजाओं का बखान करने लगा. जिसके बाद अंगद ने जमकर रावण की खिल्ली उड़ाई.
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Ramayan Angad Story: महाबलशाली बाली के पुत्र अंगद ने रावण की भरी सभा में बेइज्जती की थी. किष्किंधा के राजकुमार और अतिबलशाली अंगद ने रावण के सभी सेनापतियों के सामने उसके काले कारनामे का सच उगल दिया था. जिसके बाद भरी सभा में रावण लज्जित हो गया था. इतना ही नहीं अंगद ने सभी सेनापतियों के सामने रावण का मुकुट उछालकर उसकी भरी सभा से गजराज की भांति चिघाड़ते हुए निकल गया था.
अंगद ने उतार दी थी रावण की इज्जत
लेकिन अब आपके मन में यह सवाल उठने लगा होगा कि आखिर ऐसा कब हुआ था. तो चलिए हम आपको बताते हैं. रामानंद सागर कृत रामायण के एपिसोड में जो दिखाया गया है उसके मुताबिक अंगद ने भरी सभा में रावण की इज्जत उतार कर रख दी थी. इस दौरान अंगद ने रावण को खूब भला बुरा कहा था. लेकिन अहंकार के मद में चूर रावण किसी की भी नहीं सुनता था उल्टे जो उसे सही और गलत का फर्क समझाता उस पर ही अट्ठाहस करता.
शांतिदूत बना था अंगद
एक दिन भगवान राम को लगा कि रावण के सामने युद्ध टालने के लिए अंतिम प्रयास करना चाहिए. इसके लिए उन्होंने अंगद को दूत बनाकर शांति का प्रस्ताव रावण के पास भेजा. लेकिन अपने घमंड में चूर रावण अंगद का अट्ठाहस करने लगा. तभी अंगद ने अपनी वाकपटुता और कुशल दूत का परिचय देते हुए अपनी बातों से रावण की बखियां उधेड़ दी.
मूर्खतापूर्ण बातें करने लगा रावण
शांति प्रस्ताव के दौरान जब अंगद ने अपनी बात कहते हुए रावण को दिन में तारे दिखाने लगा तो रावण ने अपनी शक्ति का दंभ भरा और कहा कि मूर्ख तुम जानते नहीं हो मैं कौन हूं. जिसके बाद अंगद ने रुकने का नाम भी नहीं लिया. उन्होंने पूछ लिया मैं यह जानना चाहता हूं कि जगत में कितने रावण हैं?
अंगद ने उड़ा दिया था रावण का मजाक
अंगद ने कहा कि मैंने कई रावण के नाम अपने कानों से सुन रखे हैं. महाराज इनमें से आप कौन से रावण हैं.मैंने तो सुना है कि एक रावण राजा बाली को जीतने पाताल में गया था. वहां बच्चों ने घुड़साल में बांधकर बहुत पीटा था. तब बाली ने ही उसे दया करके उसे छुड़वाया दिये. और एक रावण के विषय में मैंने सुना है कि स्हस्त्रबाहु ने एक जंतु की भांति कीड़ा समझकर पकड़ लिया था. तब पुलस्त मुनी ने उसे छुड़वा लिया था. एक और रावण की बात कहने में संकोच लगता है क्योंकि कहते हैं कि मेरे पिता श्री उसे अपनी कांख में दबाकर अपनी पूजा करते रहे. ऐसे-ऐसे वीरों में से आप कौन से रावण हैं महाराज.
अंगद की बातों को सुनकर रावण पूरी तरह से तिलमिला उठा था. लेकिन भरी सभा में अपनी बेईज्जती होते देख वह चुपचाप अपमान का घूंट पीता रहा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)