Ramayan Story: मंथरा की बुद्धि का महारानी कैकेयी पर पड़ने लगा था प्रभाव, जानें माता कौशल्या के खिलाफ कैसे भड़काया
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Ramayan Story: मंथरा की बुद्धि का महारानी कैकेयी पर पड़ने लगा था प्रभाव, जानें माता कौशल्या के खिलाफ कैसे भड़काया

Ramayan Story in Hindi: अयोध्या में प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियां तेजी से शुरु हुईं तो महारानी कैकेयी की दासी मंथरा को यह बात किसी भी तरह अच्छी नहीं लगी. उसे लगा कि राज्याभिषेक तो महारानी कैकेयी के पुत्र भरत का होना चाहिए जिन्हें षड़यंत्र के तहत महाराजा दशरथ ने ननिहाल भेज दिया है. मंथरा ने महारानी कैकेयी को समझाया कि यह सब बड़ी रानी और राम की मां कौशल्या की चाल है.   

 

फाइल फोटो

Ramayan Story of Conversation between Maharani Kaikai & her Maid Servant Manthra: अयोध्या में वशिष्ठ मुनि की अनुमति पाते ही श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियां शुरु हो गयी, इधर महारानी कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि में बदलाव के कारण वह उल्टा ही देखने लगी कि कैकेयी के पुत्र भरत की अवहेलना कर राम को युवराज बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं उसने कैकेयी के पास जाकर कहा कि तुम्हें तो अपने पुत्र की कोई चिंता ही नहीं जिसके स्थान पर श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियां हो रही हैं. 

मंथरा ने यहां तक कहा कि उसे से भगवान ने कुरूप कर दिया है जिसके कारण वह दूसरों पर आश्रित है फिर अयोध्या में कोई भी राजा हो वह रानी तो बन नहीं जाएगी और रहेगी दासी की दासी इसलिए उसे तो चुप ही रहना चाहिए. मंथरा ने कैकेयी से कहा कि उससे अहित नहीं देखा जाता है इसीलिए कह दिया. मंथरा ने क्षमा मांगते हुए कहा कि शायद यह उसकी भूल थी. उसके इस तरह के अपनापन भरे हुए वचन सुन कर कैकेयी ने भी मंथरा पर विश्वास कर लिया.

 

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मंथरा बोली, कौशल्या तो सौत हैं, जड़ उखाड़ना चाहती हैं

मंथरा की बातों का कैकेयी पर असर होने लगा और वह बार-बार मंथरा से प्यार से पूछने लगी. अपनी कुटिल चाल के पूरा होने पर मंथरा प्रसन्न हो गई और उसे लगा कि उसका दांव सही निशाने पर लग गया है. बहुत पूछने पर मंथरा ने कहा, आप पूछ रही हैं इसलिए डरते हुए बता रही हूं क्योंकि आपने ने मेरा नाम ही घरफोडी रख दिया है. बस आपसे प्रेम है, इसीलिए मेरे मन में ऐसा विचार आया है. 

मंथरा ने कहा, हे रानी, तुम्हारी यह बात बिल्कुल सही है कि तुम्हें सीता और राम प्रिय हैं और राम को भी तुम प्रिय हो किंतु यह बात पहले वाली थी अब समय बदल गया है और समय के साथ मित्र भी शत्रु हो जाते हैं. यह उसी तरह है कि सूर्य कमल के कुल का पालन करता है किंतु यदि तालाब में जल न हो तो वही सूर्य कमल को जलाकर भस्म कर देता है, तुम्हारी सौत कौशल्या तुम्हारी जड़ उखाड़ना चाहती हैं इसलिए अभी से घेरा लगा कर अपने को सुरक्षित कर लो.

राजा दशरथ तो मुंह के मीठे किंतु मन के मैले हैं

 

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कैकेयी को अपनी बात ध्यान से सुनता देख, मंथरा ने कहा कि तुम्हें तो अपने पति यानी राजा दशरथ के रहते अधिक चिंता नहीं करना चाहिए क्योंकि वह तो तुम्हारे वश में हैं. असलियत यही है कि राजा दशरथ मुंह के मीठे है किंतु मन के मैले हैं. इसके दूसरी ओर आप कपट चतुराई नहीं जानती हैं और आपका सीधा सरल स्वभाव है. जबकि राम की मां कौशल्या इतना अधिक चतुर और गंभीर हैं कि उनकी थाह पाना ही मुश्किल है. 

कौशल्या ने मौका पाकर अपनी बात मनवा ली और राजा ने भरत को जो ननिहाल भेजा है उसमें भी कौशल्या की चाल ही समझो. कौशल्या समझती हैं कि सभी सौतें तो उनकी अच्छी तरह से सेवा करती हैं एक भरत की मां कैकेयी ही है जो अपने पति राजा दशरथ के दम पर गर्वित रहती है इसीलिए तुम कई सालों से कौशल्या को खटक रही हो. 

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

 

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