Sawan 2022: भगवान शिव की आराधना का महीना है श्रावण, शिवलिंग के इस तरह पूजन करने से शांत होंगे ग्रह
Advertisement

Sawan 2022: भगवान शिव की आराधना का महीना है श्रावण, शिवलिंग के इस तरह पूजन करने से शांत होंगे ग्रह

Sawan Shivling Puja: सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस माह में भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है. शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के सभी ग्रह शांत होते हैं. 

 

फाइल फोटो

Shivling Puja Vidhi In Sawan:  कर्पूर-गौरं करूणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि।

श्रावण मास 14 जुलाई 2022 से शुरु होने जा रहा है, इस पूरे महीने में शिव जी की आराधना की जाती है. मनुष्य के कर्मों और प्रारब्ध के कारण ही ग्रह कष्ट देते हैं लेकिन इस पूरी न्याय  प्रणाली के संचालन कर्ता मुख्य रूप से शिव जी ही हैं. इसीलिए कहा जाता है कि शिव जी का पूजन करने से शारीरिक, आर्थिक और मानसिक सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं. न्याय सिस्टम के मुख्य कर्ता धर्ता शिव जी हैं इसलिए यदि सृष्टि में ग्रहों के कोप से बचना है तो शिव शक्ति का पूजन करना चाहिए. जब ग्रहों की स्थिति बहुत खराब होती है, और प्राणों पर संकट होता है तब महामृत्युंजय का जाप किया जाता है.

शरीर के विभिन्न अंगों पर होता है ग्रहों का अधिकार  

वास्तव में हमारा शरीर पंचभूतों से बना है लेकिन शरीर को संचालित करने वाली शक्ति आत्मा है. शरीर में शक्ति का लोप होते ही यह शरीर शव हो जाता है. सती का अस्तित्व भी शिव अथवा चैतन्य के बिना नहीं रह जाता और इन्हीं पंचभूतों के अधिपति हैं भगवान शिव. यदि इन पंचभूतों में से शरीर का एक भी तत्व कमजोर पड़ जाए तो हम बीमार हो जाते हैं, इसी शरीर के विभिन्न अंगों पर ग्रहों का भी अधिकार होता है. जैसे हृदय पर सूर्य का, मन पर चन्द्रमा का, रक्त पर मंगल का, शरीर के रोमों पर बुध का, चर्बी व आंतों और लीवर पर बृहस्पति का, वीर्य शक्ति पर शुक्र का, शरीर के तंत्रिका तंत्र पर शनि का तथा जीर्ण रोगों पर राहु-केतु का अधिकार होता है. 

दरअसल ग्रह भी हमारे कर्मों व प्रारब्ध की रिपोर्ट के अनुसार ही सुख-दुख देते हैं. यदि ग्रहों की स्थिति खराब प्रभाव दे रही है तो समझ लीजिए कि इसका कारण कुंडली में ग्रहों की पोजीशन होगी या अंतरिक्ष में गोचर की वजह से हो सकता है या फिर दशा की वजह से हो या फिर इन सभी का कोई मिश्रित प्रभाव भी हो सकता है.

ग्रहों की शांति के लिए शिवलिंग का इस विधि से करें पूजन

ग्रहों की स्थिति जब ठीक नहीं होती है तो उसका सीधा प्रभाव मनुष्य के शरीर पर पड़ता है और उसे शरीर के विभिन्न अंगों से संबंधित बीमारी हो जाती है. अलग-अलग ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को अनुकूल करने के लिए शिवलिंग का पूजन किया जाता है.

सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है, सूर्य से संबंधित कष्ट हड्डी व आंख से जुड़ी बीमारियां, हृदय रोग व पाचन तंत्र आदि की हैं. इनसे निवारण के लिए आपको शिवलिंग पूजन आक के पुष्पों-पत्तों एवं बिल्व पत्रों से करना चाहिए, कहते हैं ऐसा करने से तीन जन्मों के पापों का नाश हो जाता है. 

चंद्रमा से संबंधित बीमारी या कष्ट जैसे, खांसी, जुकाम, निमोनिया,  मन की परेशानी, ब्लड- प्रेशर आदि हैं तो शिवलिंग पर दूध चढाएं और रुद्राष्टक का पाठ करें.

मंगल से संबंधित बीमारी जैसे रक्त संबंधित कोई कष्ट है तो गिलोय जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करें.

बृहस्पति से संबंधित बीमारी जैसे चर्बी, आंतें तथा लीवर की समस्या हो तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाएं.

शुक्र से संबंधित बीमारी शुक्राणु से संबंधित समस्या, मलमूत्र, शारीरिक शक्ति है तो उसके उपाय के लिए पंचामृत, शहद, घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें.

शनि से संबंधित मांस पेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, वायु रोग, लकवा या पीड़ा दायक रोगों की समस्या होने पर उसके उपाय के लिए  गन्ने के रस  व छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. 

राहु-केतु से संबंधित बीमारी जैसे सिर चकराना, मानसिक परेशानी, उल्टी, दस्त, अपच, पेट या दिमाग में कीड़े होना, कलर ब्लाइंडनेस आदि से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग पर गन्ने का रस व छाछ अर्पित करें और  महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार  जाप करें.

 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

 

Trending news