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Ketki Ka Phool: सावन का महीना बेहद पवित्र और पावन माना गया है. कहते हैं कि इस माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया छोटे से छोटा कार्य भी बहुत जल्द असर दिखाता है. सावन में भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में भक्त महादेव की प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करते हैं. लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजों का जिक्र किया गया है, जिन्हें महादेव को भूलकर भी अर्पित नहीं करना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव को एक फूल भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए. इसमें केतकी का फूल शामिल है. शिव पुराण में केतकी के फूल की एक कथा के बारे में बताया गया है कि क्यों पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. आइए जानें केतकी के फूल और भगवान शिव की इस कथा के बारे में.
केतकी के फूल की पौराणिक कथा
शिव पुराण में भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित न करने की कथा के बारे में बताया गया है. एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच विवाद हो गया कि कौन सर्वश्रेष्ठ है और इस विवाद को खत्म करने के लिए दोनों को भगवान शिव के पास जाना पड़ा. उस समय महादेव ने एक ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कर उसका आदि और अंत खोजने को कहा. साथ ही, कहा कि जो खोज लेगा वहीं श्रेष्ठ कहलाएगा.
इस तरह से आदि अंत खोजने की हुई शुरुआत
ज्योतिर्लिंग का आदि-अंत खोजने के लिए भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ें. शिवलिंग का आदि-अंत खोजने के लिए ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने लाख कोशिश की. लेकिन उन्हें कुछ न मिला. जब ब्रह्मा जी अंत ढूंढते-ढूंढते थक गए तब उन्हें रास्ते में केतकी का फूल मिला. ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहलाकर शिव दी के आगे झूठ बोलने को कहा और दोनों ने महादेव के सामने जाकर झूठ बोलकर ये स्वीकार किया कि उन्हें शिवलिंग का अंत मिल गया.
भगवान शिव ने दिया केतकी को श्राप
महादेव जानते थे कि ब्रह्मदेव झूठ बोल रहे हैं और उनकी इस बात से वे क्रोधित हो गए और ब्रह्मा जी को पांचवा सिर काट दिया. वहीं, केतकी के फूल को शाप दिया कि शिल जी को पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल वर्जित रहेगा. तब से ही महादेव की पूजा में केतकी के फूल को चढ़ाना मना है. केतकी का फूल चढ़ाना पाप माना गया है. इसलिए सावन या महादेव की पूजा के समय भूलवश भी केतकी का फूील अर्पित न करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)