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नई दिल्ली: इस बार ज्येष्ठ भावुका अमावस्या (Jyeshtha Amavasya),शनि जयंती (Shani Jayanti) और सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) एक ही दिन 10 जून, गुरुवार को पड़ने से यह दिन विशेष होगा. इस दिन धृति और शूल योग भी बनेगा. इन तीनों खास मौकों का असर जन-जीवन पर भी असर पड़ेगा. वहीं कोरोना (Corona) की रफ्तार भी इससे अप्रभावित नहीं रहेगा. ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण, शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस के मौके पर कब क्या सावधानी बरतें और कब पूजन करें.
साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को था. वहीं दूसरा ग्रहण 10 जून 2021, गुरुवार को लगने जा रहा है. यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. जो आंशिक रूप से भारत में दिख सकता है. ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा. चूंकि यह ग्रहण भारत में कई जगहों पर नहीं दिखेगा, लिहाजा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा.
यह वलयाकार सूर्य ग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी ध्रुव और रूसी फास्ट ईस्ट के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. जबकि यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया, आर्कटिक और अटलांटिक क्षेत्रों में आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. भारत में अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों को छोड़कर यह और कहीं दिखाई नहीं देगा. जबकि ग्रीनलैंड में स्थानीय समय के अनुसार, दोपहर के समय ग्रहण के चरम पर पहुंचने पर रिंग ऑफ फायर दिखाई देगा. इसके अलावा यह उत्तरी ध्रुव और साइबेरिया में दिखाई देगा.
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ज्योतिष में शनि को बीमारी, अस्पताल, दवा पर खर्चे , मृत्यु आदि से भी जोड़ा गया है. जैसे ही 2019 में गुरु-शनि का संगम हुआ तो कोरोना वायरस पैदा हुआ. ज्योतिषी इस एक जगह ठीक से आंकलन नहीं कर पाए. दरअसल, गुरु, राहू के नक्षत्र में था जो धोखा देता है. यह ऐसा भ्रम पैदा करता है कि काम हो गया किन्तु वह छल-कपट या धोखे से वार करता है. यही 2021 के आरंभ में लगा कि कोरोना जा रहा है, जिंदगी पटरी पर आ रही है ,परंतु राहू ने अपना असली चेहरा दिखा दिया और रुप बदल-बदल कर मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता गया.
23 मई 2021 को शनि वक्री हो गए हैं. इसके बाद 10 जून का दिन भी खासा महत्वपूर्ण है. इसके बाद से संक्रमण में कुछ कमी दिखनी आरंभ हो जाएगी. मान्यता है वक्री होने से शनि कमजोर पड़ जाते हैं. इसका असर कोरोना पर भी दिखेगा. अब शनि महाराज 141 दिन उल्टे चलेंगे. धनु, मकर और कुंभ वालों पर साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. 11 अक्टूबर 2021 से शनि मार्गी हो जाएंगे और 2023 तक मकर राशि में ही रहेंगे. इसके बाद अक्टूबर 2021 में कोरोना फिर सिर उठा सकता है. वैज्ञानिक इसे तीसरी लहर भी कह सकते हैं. भारत इस महामारी से लड़ने में पूर्ण सक्षम रहेगा, परंतु कोरोना से मुक्ति अप्रैल 2022 से ही मिलेगी. हालांकि, इसका कुछ न कुछ असर 2023 तक रहेगा.
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
शनि जयन्ती बृहस्पतिवार, जून 10, 2021 को है. अमावस्या तिथि का आरंभ 9 जून को दोपहर 2 बजे से होगी और समाप्ती 10 जून को दोपहर 4 बजकर 24 पर होगी.
इस दिन सुबह स्नान करके शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें. उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं. इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें. इस दिन व्रत रखने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शनि जयंती के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है.