Som Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा साल का पहला सोम प्रदोष व्रत, जानें लें डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व
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Som Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा साल का पहला सोम प्रदोष व्रत, जानें लें डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Som Pradosh Vrat 2024 Kab hai: हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख का महीना चल रहा है. कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत मनाया जा चुका है जो रवि प्रदोष व्रत था. अब इस महीने के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा. 

Som Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा साल का पहला सोम प्रदोष व्रत, जानें लें डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Som Pradosh Vrat 2024 Date: हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख का महीना चल रहा है. कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत मनाया जा चुका है जो रवि प्रदोष व्रत था. अब इस महीने के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा. आइए जानते हैं इसकी सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

कब रखा जाएगा महीने का दूसरा प्रदोष व्रत?
हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 मई को 3 बजकर 58 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 21 मई को शाम 5 बजकर 39 मिनट पर होगा. इसके चलते 20 मई को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. ये प्रदोष व्रत सोमवार के दिन रखा जाएगा, इसलिए ये सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
20 मई को सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस दिन शाम 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 12 मिनट तक शिव जी की पूजा के लिए शुभ रहेगा.

सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सोमवार और प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. कहा जाता है कि सोम प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है और खुशहाली आती है. 
 

करें इन मंत्रों का जाप

1. ॐ नमः शिवाय।

2. नमो नीलकण्ठाय।

3. ॐ पार्वतीपतये नमः।

4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

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करें शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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