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नई दिल्ली: मृत्यु एक अटल सत्य है. जो भी जन्मा है उसे एक दिन मरना ही है. लेकिन मौत एक ऐसा विषय है जिसके बारे में कम ही लोग बात करना चाहते हैं. हालांकि हम सब ने एक विधि जरूर देखी होगी लेकिन उसके बारे में जानकारी कम ही लोगों को होती है. आप सभी ने देखा होगा कि हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है और आपने ये भी देखा होगा कि अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो उसका दाह संस्कार अगले दिन किया जाता है. ऐसे में आपने गौर किया होगा कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है. दरअसल इसका संबंध गरुड़ पुराण से है. आइए समझते हैं इसके पीछे का कारण
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मृत शरीर को अकेले नहीं छोड़ने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो हो सकता है कुत्ते-बिल्ली जैसे जानवर उसे नोच खाएं और गरुड़ पुराण की मानें तो ऐसे में मृत आत्मा को को भी यमलोक के मार्ग में ऐसी ही यातनाएं सहनी पड़ती हैं. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उससे बदबू आने लगती है. ऐसे में यह जरूरी है कि वहां कोई ना कोई व्यक्ति बैठा रहे और धूप या अगरबत्ती शव के चारों तरफ लगातार जलती रहे ताकि शव से आने वाली दुर्गन्ध चारों ओर ना फैले.
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इसके अलावा शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ा जाता क्योंकि माना जाता है कि मरे हुए आदमी की आत्मा वहीं पर भटकती रहती है और अपने परिजनों को देखती रहती है. ऐसे में कहा जाता है कि इंसान की मौत के बाद शरीर आत्मा से खाली हो जाता है. जिस वजह से उस मृत शरीर में कोई बुरी आत्मा का साया अपना अधिकार जमा सकता है. यही वजह है कि रात में शव को अकेले नही छोड़ा जाता है और कोई ना कोई इसकी रखवाली करता रहता है.
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