बृहस्पतिवार को विष्णु जी का विशेष वार माना जाता है. इस वार को विष्णु जी का व्रत व पूजन करने से जीवन धन-धान्य से भरपूर रहता है और किसी प्रकार के दुख व कठिनाइयों का सामना भी नहीं करना पड़ता है.
Trending Photos
नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को विष्णु जी का विशेष वार माना जाता है. इस वार को विष्णु जी का व्रत व पूजन करने से जीवन धन-धान्य से भरपूर रहता है और किसी प्रकार के दुख व कठिनाइयों का सामना भी नहीं करना पड़ता है. बृहस्पति देव को बुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है.
पूजा करने के विधि-विधान
1. सुबह के समय स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2. पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
3. लाल या काले वस्त्र भूलकर भी धारण न करें.
4. इस दिन व्रत या पूजा करने वाले लोगों को केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए क्योंकि केले के वृक्ष को बहुत शुभ माना गया है.
5. संभव है तो पूजा के साथ व्रत भी करें.
6. केले के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करके, गुड़ व चने की दाल का भोग लगाएं. हल्दी का तिलक भी करें. सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें.
7. चने की दाल, हल्दी, पीली मिठाई, मक्के का आटा, मुनक्का, पीले फल व फूल जैसी पीली चीजों का दान करें.
8. व्रत किया है तो विष्णु जी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें.
9. शांत मन से विष्णु जी के मंत्रों का उच्चारण करें. इनसे प्रभु शीघ्र प्रसन्न होते हैं.
10. पीले फल व संध्या समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर, विष्णु जी की आरती करके पीला व सादा भोजन ग्रहण करें.
यह भी पढ़ें- केतु के राशि परिवर्तन से बिल्कुल न हों परेशान, इस उपाय से कटेंगे कष्ट और पूरे होंगे सभी अरमान
विष्णु जी के मुख्य मंत्र
विष्णु रूपं पूजन मंत्र-शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।
विष्णु गायत्री महामंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
विष्णु जी के बीज मंत्र
विष्णु जी के इन बीज मंत्रों में से किसी एक का 108 बार जाप करना बहुत फलदायी होता है. इनमें से प्रथम मंत्र को बृहस्पतिदेव का मूल मंत्र माना जाता है.
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
यह भी पढ़ें- वास्तु के हिसाब से बनवाएं घर का मंदिर, सुख-समृद्धि और खुशियों का खुलेगा द्वार
बृहस्पति शांतिपाठ के मंत्र
यदि आपकी कुंडली में गुरु का दोष है तो यह आपके लिए दुखदायी हो सकता है. इससे पारिवारिक, मानसिक, आर्थिक तथा शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में इन मंत्रों का जाप करके शांतिपाठ करें.
विनियोग मंत्र
ॐ अस्य बृहस्पति नम: (शिरसि)
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नम: (मुखे)
ॐ सुराचार्यो देवतायै नम: (हृदि)
ॐ बृं बीजाय नम: (गुहये)
ॐ शक्तये नम: (पादयो:)
ॐ विनियोगाय नम: (सर्वांगे)
करन्यास मंत्र
ॐ ब्रां- अंगुष्ठाभ्यां नम:।
ॐ ब्रीं- तर्जनीभ्यां नम:।
ॐ ब्रूं- मध्यमाभ्यां नम:।
ॐ ब्रैं- अनामिकाभ्यां नम:।
ॐ ब्रौं- कनिष्ठिकाभ्यां नम:।
ॐ ब्र:- करतल कर पृष्ठाभ्यां नम:।
हृदयादिन्यास मंत्र
ॐ ब्रां- हृदयाय नम:।
ॐ ब्रीं- शिरसे स्वाहा।
ॐ ब्रूं- शिखायैवषट्।
ॐ ब्रैं कवचाय् हुम।
ॐ ब्रौं- नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ ब्र:- अस्त्राय फट्।
प्रस्तुति: कुसुम लता (पंडित शिवकुमार तिवारी शास्त्री जी से बातचीत पर आधारित)