नई दिल्ली: तिरुपति के तिरुमला हिल्स पर स्थित भगवान बालाजी मंदिर (Lord Balaji Temple) का संचालन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट (Tirumala Tirupati Devsthanam TTD) ने पुख्ता सबूतों के साथ इस बात की आधारिकारिक घोषणा कर दी है कि अंजनाद्री की पहाड़ियां (Anjanadri Hillock) ही भगवान हनुमान की जन्म स्थली है (Lord Hanuman). अंजनाद्री, उन सात पहाड़ियों में से एक है जिस पर श्री वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर स्थित है. बुधवार को रामनवमी के पावन अवसर पर तिरुमला ट्रस्ट ने इस बात की घोषणा की. 


गहन रिसर्च के बाद ट्रस्ट ने सबूतों के साथ की घोषणा


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जिस वक्त ट्रस्ट की तरफ से यह घोषणा की गई उस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित भी इस खास मौके पर मौजूद थे. उन्होंने कहा कि वह हनुमान जी को बहुत बड़े भक्त हैं और उन्हें खुशी है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने अंजनाद्री की पहाड़ियों को हनुमान जी का जन्म स्थान घोषित करने से पहले एक्सपर्ट कमिटी की मदद से काफी गहन रिसर्च भी (Expert committee did research) करवायी है. राज्यपाल ने रिसर्च के लिए लगी टीम को बधाई देते हुए कहा कि पूरी टीम ने 4 महीने तक दिन रात हनुमान जी के जन्म स्थान से जुड़े सबूतों को जुटाने पर काम किया और अब यह साबित हो गया है कि अयोध्या श्रीराम का जन्म स्थान है (Ayodhaya is lord Ram's Birth place) और अंजनाद्री, अंजनेय का. अंजनी के पुत्र होने के कारण हनुमान जी को अंजनेय भी कहा जाता है. 


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हनुमान जी के जन्म स्थान से जुड़े पुख्ता सबूत


नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर मुरलीधर शर्मा जो इस एक्सपर्ट कमिटी के सदस्य भी हैं, ने मीडिया के सामने पौराणिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक और भूवैज्ञानिक सबूतों के साथ अंजनाद्री को अंजनेय स्वामी (Anjaney Swami) यानी हनुमान जी का जन्म स्थान घोषित किया. उन्होंने कहा कि 12 पुराणों में भी इस बात का जिक्र है. उन्होंने पुराणों में वर्णित कुछ घटनाओं को मीडिया के सामने रखते हुए कहा,


-वाल्मिकी रामायण के सुंदर कांड में 81 से 83 श्लोक में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि चूँकि हनुमान जी का जन्म तपस्या के बाद इन पवित्र पहाड़ियों पर अंजना देवी से हुआ था, इसलिए हनुमान जी अंजनेय कहलाए जबकि पहाड़ियों को "अंजनाद्री" नाम मिला.


-1491 और 1545 दोनों के श्रीवारी मंदिर में पत्थरों पर लिखे शिला लेख में अंजनाद्री को ही अंजनेय यानी हनुमान जी के जन्म स्थान के रूप में बताया गया है.


-इसके अलावा व्यास महाभारत चैप्टर 147 वनपर्व, वाल्मिकी रामायण में 66 चैप्टर किश्किंधा कांड, शिव पुराण, शतरुद्र सम्हिता, ब्रह्मांड पुराण, स्कंद पुराण इन सभी में भी ऐसे ही सबूत मिले हैं.


-लंदन की लाइब्रेरी में मौजूद एक किताब जिसका नाम अंजनाद्री महात्म्य में भी अंजनाद्री को ही हनुमान जी का जन्म स्थान बताया गया है.


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इन 5 जगहों को भी हनुमान जी की जन्म स्थली माना जाता है


हालांकि इतिहासकारों में हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर कई आशंकाएं हैं. 5 अन्य स्थानों को भी हनुमान जी की जन्म स्थली के रूप में देखा जाता है:
1. कर्नाटक के हम्पी में अंजनाद्री के पास ही एक पहाड़ी है. हालांकि हम्पी के कन्नड़ यूनिवर्सिटी के विद्वानों के पास इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है.
2. झारखंड के गुमला जिले से 21 किलोमीटर दूर स्थित अंजन गांव.
3. गुजरात के नवसारी में स्थित अंजन के पहाड़.
4. हरियाणा का कैथल इलाका.
5. महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर मंदिर से 7 किलोमीटर दूर स्थित अंजनेरी.


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टीम ने तैयार की 22 पन्नों की रिपोर्ट


तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के अधिकारी ने बताया, हमारे पंडितों की टीम ने कड़ी मेहनत करके पुख्ता सबूत जुटाए हैं और 22 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की है. हम बहुत जल्द इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर भी डाल देंगे. हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्य केवल स्थानीय मान्यताओं के आधार पर हनुमान जी का जन्म स्थान होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन उनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं. साथ ही ट्रस्ट के पंडितों की पूरी टीम जल्द ही इन सबूतों से संबंधित एक किताब भी रिलीज करेगी. 


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