हारी हुई बाजी भी जीत जाएंगे, महाभारत से सीख लें ये अहम बातें
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हारी हुई बाजी भी जीत जाएंगे, महाभारत से सीख लें ये अहम बातें

Mahabharat Katha: महाभारत ग्रंथ में कई बातें ऐसी हैं, जिनसे सीख लेना आपको सफल बना सकता है. महाभारत केवल युद्ध के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें विभिन्‍न किरदार-घटनाएं भी हैं जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है.

हारी हुई बाजी भी जीत जाएंगे, महाभारत से सीख लें ये अहम बातें

Mahabharat Learning in Hindi: भारत के महत्‍वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक महाभारत को आमतौर पर केवल विनाशकारी युद्ध के लिए जाना जाता है. जबकि महाभारत में विभिन्‍न प्रकार के किरदार और ढेरों ऐसी घटनाएं हैं, जिनसे महत्‍वपूर्ण सबक सीखे जा सकते हैं. महाभारत से सीखी गईं ये बातें आपको जीवन में बहुत मददगार साबित हो सकती हैं. ये सबक आपके जीवन को बदल सकते हैं. आइए महाभारत की कुछ ऐसी ही घटनाओं और उनसे मिलने वाली सीख को जानते हैं, जो आपको सफलता पाने में बहुत मदद कर सकते हैं.  

महाभारत और उससे मिलने वाली अहम सीख 

खुद पर और भगवान पर भरोसा: महाभारत युद्ध से पहले दुर्योधन और युधिष्ठिर भगवान श्रीकृष्‍ण के पास मदद लेने के लिए जाते हैं. भगवान श्रीकृष्‍ण कहते हैं कि चूंकि वो दोनों ही उनके पास मदद मांगने आए हैं, लिहाजा वे दोनों की मदद करेंगे. इसके लिए एक ओर पूरी नारायणी सेना है और दूसरी ओर केवल मैं. आप दोनों इनमें से चुन लो. दुर्योधन तुरंत नारायणी सेना मांग लेता है. वहीं युधिष्ठिर हाथ जोड़कर भगवान कृष्‍ण से कहते हैं कि हमें बस आपका साथ और आशीर्वाद चाहिए. इसके बाद युद्ध में भगवान श्रीकृष्‍ण ने अस्‍त्र भी नहीं उठाया लेकिन उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद ने पांडवों को विजयश्री दिलाई. लिहाजा हमेशा खुद पर और भगवान पर भरोसा रखते हुए सही मार्ग पर चलें, तमाम परेशानियों के बाद भी आपको जीत जरूर मिलेगी. 

समय के साथ खुद को बदलें: पांडवों को दुर्योधन ने हर तरह से परेशान किया और मारने की कोशिश की. लेकिन पांडवों ने हिम्‍मत नहीं हारी और हर स्थिति के लिए खुद को तैयारी किया. खुद में बदलाव किए और आखिर में जीत हासिल की. जुए में हारने के बाद जब पांडवों को 12 साल का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास मिला. तो उन्‍होंने धैर्य से ये समय भी निकाला. हस्तिनापुर के राजकुमार रहे सारे पांडव अज्ञातवास में भेष बदलकर रहे. अर्जुन ने राजा विराट की बेटी उत्तरा को नृत्य सिखाया, तो भीम रसोइया बने. जिस द्रौपदी की सेवा में सैंकड़ों दासियां रहा करती थीं, उसने 1 साल का अज्ञातवास खुद दासी बनकर निकाला. यदि पांडव इस तरह भेष बदलकर ना रहते तो दुर्योधन उन्‍हें ढूंढ लेता और पांडवों को फिर से 12 साल का वनवास झेलना पड़ता. लिहाजा हर इंसान को अपनी परिस्थिति के अनुसार खुद को बदलना जरूरी है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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