Swaminarayan Sect: क्या है स्वामीनारायण संप्रदाय, जिसकी स्थापना के 200 साल हुए पूरे? यूपी में जन्मे इस संत ने की थी स्थापना
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Swaminarayan Sect: क्या है स्वामीनारायण संप्रदाय, जिसकी स्थापना के 200 साल हुए पूरे? यूपी में जन्मे इस संत ने की थी स्थापना

Who is Lord Swaminarayan: यूपी के गोंडा में जन्मे एक बच्चे की बचपन से ही आध्यातिक जगत में रूचि थी. उसी बच्चे ने आगे चलकर गुजरात में स्वामीनारायण संप्रदाय शुरू किया, जो आज वटवृक्ष बन चुका है.

Swaminarayan Sect: क्या है स्वामीनारायण संप्रदाय, जिसकी स्थापना के 200 साल हुए पूरे? यूपी में जन्मे इस संत ने की थी स्थापना

History of Swaminarayan Temple: सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए बने स्वामीनारायण संप्रदाय को 200 साल हो चुके हैं. इस मौके पर आज गुजरात के वडताल स्थित स्वामीनारायण मंदिर में समारोह हुआ, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े. उन्होंने अपने संबोधन में समाज को जोड़ने और समाज सेवा के कार्य करने के लिए स्वामीनारायण संप्रदाय की सराहना की. 

बताते चलें कि वडताल स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर कई दशकों से लोगों के सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण कार्य करने से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर का निर्माण सद्गुरु श्री ब्रह्मानंद स्वामी और सद्गुरु श्री अक्षरानंद स्वामी ने करवाया था. यह मंदिर कमल के आकार में निर्मित किया गया है, जो सभी धर्मों के बीच सद्भाव की भावना का प्रतीक है.

कौन है स्वामीनारायण संप्रदाय?

स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना स्वामीनारायण ने की थे. उनके बचपन का मूल नाम घनश्याम पांडे थे. जबकि पिता का नाम हरिप्रसाद पांडे और मां का नाम प्रेमवती था. उनका जन्म 3 अप्रैल 1781 को यूपी के गोंडा जिले के छपैया गांव में हुआ था. बचपन से ही उनका मन आध्यात्म की ओर उमड़ता था. महज 11 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़कर तीर्थ यात्राएं शुरू कर दी थीं. 

उन्होंने भारत के पूर्वी, पश्चिम, उत्तर- दक्षिण समेत सभी हिस्सों तीर्थ यात्राएं करने के बाद फिर नेपाल की ओर रुख किया. लेकिन उन्हें कहीं भी मन की शांति नहीं मिल पा रही थी. इसके बाद वर्ष 1800 में वे गुरु स्वामी रामानंद से मिले, जिन्होंने उन्हें दीक्षा देकर उद्धव संप्रदाय में शामिल कर लिया. इसके साथ ही उनका नाम परिवर्तित कर सहजानंद स्वामी रख दिया. 

गुजरात में स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना

लेकिन सहजानंद स्वामी ने समाज के लिए कुछ बड़ा सोच रखा था. अगले साल वे तीर्थांटन करते हुए गुजरात पहुंचे और फिर वहीं के होकर रह गए. उन्होंने 31 दिसंबर, 1801 को गुजरात में ही स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना की. धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई और वे भगवान स्वामीनारायण के रूप में प्रसिद्ध हो गए. उनके अनुयायी उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं. 

बाद में उनके तीसरे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी ब्रह्मस्वरूप शास्त्रीजी महाराज ने स्वामीनारायण संप्रदाय को गुजरात के छोटे से शहर बोचासन में इसे औपचारिक रूप दिया और स्वामीनारायण मंदिर खोलने का सिलसिला शुरू किया. करीब 100 से ज़्यादा सालों की प्रगति के बाद, इस संगठन के  दुनिया भर में 5025  केंद्र,  55,000 स्वयंसेवक और 1 मिलियन से ज़्यादा अनुयायी हैं.

अबू धाबी में भव्य मंदिर का किया निर्माण
 
पिछले साल संप्रदाय की ओर से अबू धाबी में विशालकाय स्वामीनारायण मंदिर शुरू किया गया था, जिसमें उद्घाटन समारोह में स्वयं पीएम मोदी यूएई पहुंचे थे. उन्होंने संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे दुनिया में आध्यात्म और आस्था का अनोखा संगम करार दिया था. 

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