देवी सतवादिनी की महिमा, जिसके बारे में स्थानीय लोग अटूट आस्था रखते हैं. लेकिन बाहरी लोगों में ये आस्था इतनी गहरी नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सतवादिनी मंदिर को लेकर जो मान्यताएं हैं उसकी अनदेखी की वजह से बीड़ बिलिंग के क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग से जुड़े हादसे बढ़ रहे हैं.
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हमारी सनातनी परंपरा में देवताओं के साथ शक्ति की देवी का खास विधान है. ज्यादातर लोग देवी के 51 शक्तिपीठों के बारे में जानते हैं. लेकिन देवी भागवत पुराण के मुताबिक देश में 108 शक्तिपीठ हैं. इनमें सबसे ज्यादा शक्तिपीठ हमारे देश के पहाड़ी क्षेत्रों में हैं. आज की हमारी स्पेशल रिपोर्ट हिमाचल के एक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थापित एक ऐसी ही देवी पर है, नाम है माता सतवादिनी. इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि क्या है देवी सतवादिनी की शक्तियो और मान्यताओं का रहस्य, जो सदियों बाद भी लोग इसकी अनदेखी से बचते हैं.
मां सतवादिनी देवी का कवच, ये सबसे चौंकाने वाला रहस्य था. वो इसलिए भी कि जिस बीड पंचायत में ये मंदिर मौजूद है, वो पैराग्लाइडर्स का हैवन, यानी स्वर्ग माना जाता है. यहां दिनभर में तीन से 400 तक पैरा ग्लाइडर्स आसमान में लहराते हैं. इसमें पायलट विदेशी भी होते हैं लेकिन सुरक्षा सतवादिनी की सुरक्षा कवच की जरूरत इन्हें भी पड़ती है. मां का सुरक्षा मतलब, आसमान में उड़ान भरने की परमिशन.
सतवादिनी मंदिर जाने के लिए जहां से पैदल रास्ता शुरु होता है, वहां पहुंचते ही आसमान में रंग बिरंगे पैराग्लाइड्स दिखाई देने लगते है. यहां पहुंचे किसी भी शख्स के लिए ये अपने आप में उत्सुकता जगाने वाला दृश्य होता है. खासतौर पर इसलिए, जब आपको पता चलता है, इनमें से कोई पैराग्लाइडर्स मंदिर के ऊपर एक खास हिस्से से उड़ान नहीं भर सकता. इसी जिज्ञासा में जी न्यूज की टीम ने सतवादिनी मंदिर की यात्रा शुरु की. जैसे-जैसे हमारी टीम आगे बढ़ी, वैसे वैसे पता चलता गया, घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच से मंदिर को जाने वाला रास्ता उतना ही मुश्किल है जितना हमने सुना था.
लगभग 15 मिनट की पैदल यात्रा के बाद टीम पहुंची उस मंदिर के प्रांगण में जिसके रहस्यों और मान्यताओ के किस्से हमने 7 किलोमीटर नीचे बेस स्टेशन से ही सुनते आ रहे थे. माता सतवादिनी की शक्तियों में स्थानीय लोगों की आस्था इतनी अटूट है कि यहां कोई भी जोखिम भरा काम बिना मां का आशीर्वाद लिये बगैर लोग नहीं करते. लोगों से बातचीत में सबसे चौंकाने वाली बात थी सुरक्षा कवच और मंदिर के ऊपर से उड़ान नहीं भरने वाली मान्यता. मंदिर के ऊपर से कोई उड़ान नहीं भरेगा, इसकी चेतावनी सिर्फ मंदिर समिति की तरफ से नहीं दी जाती, बल्कि यहां जो हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग के अधिकारी हैं, वो भी पैराग्लाइडर्स को उड़ान भरने से पहले आगाह करते हैं.
ये चेतावनी इसलिए भी कि पैराग्लाइडिंग के दौरान जल्दी ऊंचाई हासिल करने के लिए मंदिर का इलाका बेहद खास है. घाटी से उठकर गर्म हवाएं यहां एक ऐसे स्ट्रीम का रूप लेती हैं, जिससे जल्दी ऊंचाई हासिल होती है. इसी प्रभाव की वजह से सतवादिनी मंदिर को कई पाइलटस थर्मल देवता कहते हैं. इसी मान्यता की वजह से जब भी कोई पैराग्लाइडर उड़ान भरने की तैयारी करता है, उससे पहले सतवादिनी मंदिर में पूजा जरूरत करता है. मान्यता है कि इसी कवच से पायलट को ऐसी सुरक्षा मिलती है जो उसे तमाम जोखिम में भी सुरक्षित रखती है.
ये तो हुई देवी सतवादिनी की महिमा, जिसके बारे में स्थानीय लोग अटूट आस्था रखते हैं. लेकिन बाहरी लोगों में ये आस्था इतनी गहरी नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सतवादिनी मंदिर को लेकर जो मान्यताएं हैं उसकी अनदेखी की वजह से बीड़ बिलिंग के क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग से जुड़े हादसे बढ़ रहे हैं. सत्यवादिनी देवी मंदिर के इलाके बीड़ बिलिंग में जो एरोस्पोर्ट सेंटर है वो दुनिया के बेहतरीन पैराग्लाइडिगं हब में शुमार किया जाता है. यहां से अमूमन हर दिन 400 पैराग्लाइडर्स टेक ऑफ करते हैं. ये इतना बड़ा हब बन गया है कि बाहरी लोगों के कॉन्टैक्ट में आने के बाद स्थानीय लोगों में भी पैराग्लाइडिंग को लेकर जुनून बढ़ा है.
यहां के कई स्थानीय युवा भी पैराग्लाइडर्स बन चुके हैं लेकिन बढ़ते हादसों को लेकर सवाल सबके जहन में बना हुआ है. ये सुविधाओं की कमी से हो रहा है या फिर देवी सतवादिनी की अनदेखी की वजह से हादसे बढ़ रहे हैं. दरअसल, सतवादिनी मंदिर से जुड़ी सुरक्षा कवच की मान्यता एक जमाने में बढ़ते पैराग्लाडिंग एक्सीडेट्स की वजह से ही हुई थी. ये आजादी से पहले की बात है. इलाके में ऊंचे पहाड़ों और अचानक बदलते मौसम की वजह से हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही थी.
तब बीड़ में पैराग्लाइडिंग कैंप की शुरुआत ही हुई थी. उस दौर में इतनी तकनीक और सुविधाएं भी नहीं थीं. ऐसे में एक दिन मंदिर के पुजारी ने माता सतवादिनी के स्वप्न का जिक्र किया. उस सपने के मुताबिक पूरे इलाके में उड़ान से पहले माता की पूजा अनिवार्य कर दी गई. सतवादिनी देवी की पूजा के बाद पैराग्लाइडिंग के हादसों में चमत्कारिक रूप से गिरावट आई. इसकी वजह से देवी को लेकर मान्यता को बल मिला. लोग पूजा पाठ को उड़ान का सुरक्षा चक्र मानने लगे.
ये आस्था इतनी बढ़ गई कि हिमाचल पर्यटन ने भी मंदिर के ऊपर से उड़ान भरने से मना कर दिया. इस तरह सुरक्षित पैराग्लाइडिंग का सिलसिला बरसों तक चलता रहा लेकिन पिछले कुछ बरसों में हादसों का सिलसिला फिर से बढ़ा है. पर्यटन विभाग के मुताबिक हर साल यहां दो पायलट हादसे में मारे जाते हैं. जानकार इसके पीछे तकनीकी चूक बताते हैं लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि कहीं न कहीं ये देवी सतवादिनी की अराधना में चूक की वजह से हो रहा है. तभी देवी का सुरक्षा चक्र आसमान में बिखर रहा है.
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