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नई दिल्ली: पृथ्वी (Earth) में कई खूबियां हैं जिनकी वजह से यहां जीवन (Life) संभव है. लेकिन कम लोग यह जानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन के कायम होने (Favourable Living Conditions) की सबसे बड़ी वजह है पृथ्वी के कोर का बहुत अधिक गर्म होना. और इसी वजह से पृथ्वी की कोर को उसका हृदय भी कहते हैं. अब वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर पृथ्वी अपने जीवन को कब तक बचाए रखेगी. यानी पृथ्वी की कोर (Know How Long The Earth's Core Will Be Able To Sustain Life On Earth) कब तक गर्म रह सकेगी.
पृथ्वी की कोर (Know How Long The Earth's Core) का बहुत सी प्रक्रियाओं में अहम रोल है. यह टेक्टोनिक प्लेट को गतिमान करती है. और सबसे खास बात है कि यह सूर्य के खतरनाक विकिरणों से धरती को बचाती है. बता दें कि इसके लिए बहुत ही अधिक पावर ऊर्जा की जरूरत होती है. इससे एक ताकतवर मैग्नेटिक फील्ड बनता है.
वैज्ञानिक इस बात से वाकिफ हैं कि इस कोर की ऊर्जा बहुत अधिक खर्च होती है और यह धीरे- धीरे ठंडी हो रही है. आपको बता दें कि आज पृथ्वी की कोर का तापमान सूर्य की सतह से भी ज्यादा है. यह तापमान 10 हजार डिग्री सेल्सियस तक है.
पृथ्वी की विशाल मैग्नेटिक फील्ड अंतरिक्ष में बहुत दूर तक फैला है जिसकी वजह से सूर्य से आने वाली आवेशित कण पृथ्वी के पास नहीं आ पाते हैं. इतना ही नहीं, इस फील्ड के कारण ही ऊर्जावान इलेक्ट्रन पृथ्वी से टकरा नहीं पाते हैं जिसकी वजह से पृथ्वी पर जीवन इन विकिरणों और बारिश से अप्रभावित रहता है.
मैग्नेटिक फील्ड की वजह से इन ऊर्जावान आवेशित कणों और इलेक्ट्रॉन एक खास क्षेत्र में ही बने रहते हैं. ये पृथ्वी के पास नहीं आते हैं इस क्षेत्र को वैन ऐलन बेल्ट कहते हैं. इसी की वजह से पृथ्वी पर जीवन पनपने और कायम है. इसकी गैरमौजूदगी से सौर पवनें ओजोन परत को उड़ा देंगीं और पृथ्वी पर पराबैंगनी विकिरण छा जाएगा. और पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाएगा.
पृथ्वी वैसे तो धीरे ही ठंडी हुई लेकिन पुरातन काल से उसकी गर्मी कम होती रही है जब वह एक गर्म आग का गोला थी. लेकिन पृथ्वी की मैंटर और क्रोड़ परतों के गर्म होने की एक वजह और भी थी. वह हैं पृथ्वी की गहराइयों में पाए जाने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ जो क्रोड़ के पास मौजूद हैं.
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यह पता करना मुश्किल है कि रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन प्रक्रिया से निकलने वाली गर्मी पृथ्वी की केंद्र को गर्म रखने में कितना योगदान दे रही है. लेकिन ये सत्य है कि अगर पृथ्वी के अंदर की गर्मी ज्यादातर पुरातन गर्मी है तो वह बहुत जल्दी से ठंडी हो जाएगी. वहीं अगर इसमें रेडियोधर्मी पदार्थों की भूमिका है तो यह कोर की गर्मी ज्यादा लंबे समय तक चलेगी.
गर कोर तेजी से भी ठंडी हुई तो इस प्रक्रिया (Sustain Life On Earth) में बीसियों अरब साल लगेंगे. यह इतना ज्यादा समय है कि उससे पहले ही हमारा सूर्य ठंडा होकर खत्म हो चुका होगा जिसमें पांच अरब साल लगेंगे. वैज्ञानिक खास किस्म के सेंसर का उपयोग कर जियोन्यूट्रीनो की मदद से कोर के नाभिकीय ईंधन का पता लगाएंगे. बचा है, यह जानने के लिए वैज्ञानिक खास किस्म के सेंसर का उपयोग कर जियोन्यूट्रीनो की मदद लेंगे.
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