पूरी धरती के लिए एकमात्र ऊर्जा के स्रोत सूर्य का 25वां साइकिल (Solar Cycle 25) शुरू हो गया है.
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नई दिल्ली: पूरी धरती के लिए एकमात्र ऊर्जा के स्रोत सूर्य का 25वां साइकिल (Solar Cycle 25) शुरू हो गया है. NASA और नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के वैज्ञानिकों ने बुधवार को इसकी घोषणा की और बताया कि इसके बाद सूरज की सतह पर क्या बदलाव आ सकते हैं. हालांकि, इस घोषणा के साथ उन्होंने यह भी कहा है कि सूर्य इतना परिवर्तनशील है कि इस इवेंट की कोई दिन-तारीख नहीं बताई जा सकती है लेकिन इतना तय है कि यह साइकिल सूर्य की सतह पर खासे बदलाव ला सकता है.
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साइकल में बदलाव का ऐसे चलता है पता
सूर्य के साइकिल में बदलाव की कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती है. यह कभी कम समय में भी हो सकता है और कभी ज्यादा समय में भी. साइकिल में बदलाव का पता करने के लिए वैज्ञानिक सूर्य के धब्बों का उपयोग करते हैं. यही धब्बे सूर्य में होने वाले बदलावों को रिफ्लेक्ट करते हैं. अभी हाल ही में ऐसे बदलाव हुए हैं, जो बताते हैं कि सूर्य का साइकिल बदल गया है.
नासा की वैज्ञानिक लिका गुहाठकुरता ने बताया, 'हाल ही में सूरज की सतह से उठने वाली तेज सौर लपट या कोरोनियल लहर दिखाई दी थी. जिससे पता चलता है कि सूरज ने अपना नया साइकिल शुरू कर दिया है.'
उन्होंने यह भी कहा कि इस बदलाव के बाद सूरज की सतह पर भी कई गतिविधियां होंगी. जिसके कारण वह अंतरिक्ष में तेज रोशनी, आग की लपटें, तेज ऊर्जा या सौर तत्व आदि फेंकेगा. यह परिवर्तन सौर तूफानों का कारण भी बनेगा.
एक अन्य वैज्ञानिक फ्रेडरिक क्लेटे ने कहा, 'हम इन छोटे धब्बों का विस्तृत रिकॉर्ड रखेंगे, जिन्होंने हमें नए साइकिल के बारे में बताया है.'
25 वें साइकिल से पहले थी ये स्थिति
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह अहम घोषणा करते हुए नासा ने बताया कि सूरज अब भले ही इतने परिवर्तनों और सक्रियता के लिए तैयार हो गया है लेकिन कुछ समय तक हालात इससे बिल्कुल अलग थे. सूरज कई महीनों से कम चमकीला था, उसकी रोशनी में कमी आ गई थी. इसके पीछे वजह इसकी सक्रियता में कमी आना था.
हालांकि ऐसा केवल पिछले कुछ महीनों में ही नहीं हुआ है. बल्कि सूर्य की पिछले कुछ समय से जारी निष्क्रियता ही साइकिल में बदलाव का कारण बनी है. क्योंकि जब भी सूरज निष्क्रिय होता है, उसके कुछ महीनों या सालों बाद उसकी सक्रियता में तेजी आती है.
लिका कहती हैं, 'हमें यह याद रखना चाहिए कि सूरज की गतिविधियां कभी खत्म नहीं होंगी, बस उसमें किसी पेंडुलम की तरह उतार-चढ़ाव आते रहेंगे.'
फिर भी वैज्ञानिकों को सता रहा है ये डर
सूरज की ये गतिविधियां या निकट भविष्य में होने वाली सक्रियता भी वैज्ञानिकों के उस डर को खत्म नहीं कर पा रही हैं, जो पिछले 9000 सालों में उन्हें नजर आई है. दरअसल, कुछ समय पहले जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यटू ने दावा किया था कि सूरज की चमक पिछले 9000 साल से फीकी पड़ती जा रही है. जो कि शायद सूरज के कमजोर होने का इशारा है. लेकिन इसे लेकर उनकी ये सोच भी है कि कहीं सूरज की सक्रियता में आई ये खासी कमी कहीं आने वाले बड़े तूफान के पहले की शांति तो नहीं है.
उनकी इस आशंका के पीछे मजबूत तर्क भी है. वैज्ञानिकों ने सूर्य की घटती चमक की तुलना आकाशगंगा के करीब ढाई हजार तारों से की और पाया कि वाकई सूर्य पिछले कई हजार सालों से बहुत शांत है. इतना ही नहीं पिछले 400 सालों में तो सूर्य पर बनने वाले धब्बों (sunspots) में भी कमी आई है. वैसे ये 500-1,000 साल की बातें सूर्य की कुल उम्र के आगे नगण्य हैं क्योंकि सूरज की उम्र 4.6 बिलियन साल है.
वैज्ञानिकों का ये भी अंदाजा है कि हो सकता है कि सूरज इतने सालों में थक गया हो और अब छोटी नींद ले रहा हो.