कई बार आप देखते होंगे कि सर्दी के मौसम में आपका स्वेटर बालों से चिपक जाता है. इसके अलावा कभी-कभी चीजों को छूने पर करंट भी लगता है. दरअसल ये स्टेटिक पॉवर (Static Power) की वजह से होता है. जब किसी सतह पर निगेटिव या पॉजिटिव चार्ज अपने से विपरीत चार्ज के आमने-सामने हो जाते हैं तो बिजली पैदा होने लगती है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बिजली पैदा करने वाली कागज की मशीन इसी फॉर्मूले के आधार पर बनाई है.(फोटो साभार: American Chemical Society)
बता दें कि बिजली पैदा करने वाली कागज की मशीन को बनाने के लिए कागज को लेजर से काटा गया है. फिर उसके ऊपर से कंडक्टिव मटेरियल की कोटिंग की गई है. जब कोई इस कागज को दबाता है तो बिजली पैदा होने लगती है. साइंस में इस घटना को ट्राइबोइलेक्ट्रिक इफेक्ट (Triboelectric Effect) कहा जाता है. ये दो चार्ज्ड सतहों के बीच इलेक्ट्रॉन्स (Electrons) के आवागमन के कारण होता है. इस कारण से ही बिजली पैदा होती है.
गौरतलब है कि ट्राइबोइलेक्ट्रिक इफेक्ट (Triboelectric Effect) से पैदा हुई ट्राइबोइलेक्ट्रिसिटी (Triboelectricity) से ज्यादातर लोग अंजान हैं. हाल के कुछ सालों में इंजीनियरों ने इसका इस्तेमाल करके कई नए इनोवेशन किए हैं. जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Georgia Institute of Technology) के इंजीनियर झॉन्ग लिन वॉन्ग (Zhong Lin Wang) ने ट्राइबोइलेक्ट्रिक जेनरेटर (Triboelectric Generator) बनाया है, जो कई क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल टचस्क्रीन में, पॉलीमर कपड़ों में, कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा बॉटल्स में किया जा सकता है.
ट्राइबोइलेक्ट्रिक जेनरेटर (Triboelectric Generator) से ऐसा किया जा सकता है कि जब भी कोई कपड़े पहने, कोई टचस्क्रीन को छुए या किसी भी सतह को हाथ से दबाए या घर्षण करे तो बिजली पैदा होने लगेगी. अगर ये इनोवेशन हो गया तो बिजली की खपत का आधा उत्पादन ऐसे ही हो जाएगा.
जान लें कि झॉन्ग लिन वॉन्ग (Zhong Lin Wang) और उनकी टीम ने पहले एक सैंडपेपर को लेजर से चौकोर आकार में छोटे-छोटे खांचों में काटा, फिर उसके ऊपर सोने और दूसरे कंडक्टिव मटेरियल की पतली कोटिंग कर दी. इसके बाद इन सबको जोड़कर रोह्म्बी जैसा बना दिया. बिजली पैदा करने वाली कागज की इस मशीन को जेब या पर्स में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. इस मशीन को कुछ मिनट तक दबाने से 1 वोल्ट एनर्जी पैदा होती है.
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