वैज्ञानिकों ने नई तकनीक विकसित की है. इस नई तकनीक के जरिए आप मिनटों में दुर्लभ हीरा (Rare Diamond) बना सकते हैं, जिसे बनाने में आमतौर पर अरबों साल लग जाते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (एएनयू) के वैज्ञानिकों ने नई तकनीक विकसित की है. यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अपने सर्वाधिक शुद्ध और कठोर हेक्सागोनल हीरे (Hexagonal Diamond) बनाने की तकनीक विकसित की है. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में हीरे बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञनिकों की यह टीम 'डायमंड एनविल सेल' नामक एक छोटे उपकरण का उपयोग कर रही है.
इस उपकरण में दो हीरे एक-दूसरे के बिल्कुल आमने-सामने लगे हुए हैं, जो खास तकनीक की मदद से अत्यंत उच्च दबाव पैदा करते हैं. यह एरिजोना में कैनाइन डियाब्लो में क्रेटर बनाने जितने दबाव के बराबर हैं. इस तकनीक से अब वैज्ञानिक कमरे के तापमान में मिनटों में इन कीमती क्रिस्टल्स को बना सकते हैं.
एएनयू और आरएमआइटी विश्वविद्यालय (ANU & RMIT Universities) के वैज्ञानिकों ने कठोर पत्थर बनाने के लिए एक बैले शू पर 640 अफ्रीकी हाथियों के बराबर सुपर हाई प्रेशर उत्पन्न करने के लिए डायमंड एविल सेल का इस्तेमाल किया. इससे डिवाइस के कार्बन परमाणुओं पर अप्रत्याशित प्रतिक्रिया हुई.
एएनयू रिसर्च स्कूल ऑफ फिजिक्स के प्रोफेसर जोडी ब्रैडबी ने बताया कि प्राकृतिक रूप से हीरे पृथ्वी की कम से कम 150 किमी की गहराई में करीब 1000 डिग्री सेल्सियस के अत्यधिक तापमान और उच्च दबाव पर अरबों वर्षों की रासायनिक प्रक्रिया के दौरान बनते हैं. उन्होंने बताया कि उच्च दबाव ने शूज के कार्बन पर इतना दबाव पैदा किया कि वह परमाणुओं में बदल गया है. इसी से वह लोंसडेलाइट और सामान्य हीरे में तब्दील हो गया.
यह नया परीक्षण यह दिखाने के लिए था कि कमरे जितने तापमान में भी हीरा विकसित किया जा सकता है. इन हीरों का इस्तेमाल गहनों में नहीं किया जा सकेगा, बल्कि इनका उपयोग खनन के दौरान अत्यधिक कठोर चट्टानों को काटने में किया जाएगा.
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