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वाशिंगटनः मौत के बाद जीवन. जी हां आपने ठीक सुना. इसको लेकर लोग अक्सर बात करते रहते हैं. भारत सहित कई देशों में माना जाता है कि मौत के बाद भी जीवन होता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं की बात करें, तो किसी इंसान के मरने के बाद आत्मा दूसरे नए शरीर में प्रवेश करती है. इसी बीच एक ब्रह्मांड वैज्ञानिक ने अब दावा किया है कि मौत के बाद का जीवन "वैज्ञानिक संभावना के दायरे से परे" है.
डॉ. शॉन कैरोल एक ब्रह्मांड विज्ञानी और अमेरिका में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भौतिकी के प्रोफेसर हैं. उन्होंने अपना अधिकांश जीवन भौतिकी के नियमों का अध्ययन करने में समर्पित कर दिया है. वह दावा करते हैं कि ब्रह्मांड के नियम हमारे मरने के बाद भी चेतना को काम करने की अनुमति नहीं देते हैं.
उनका तर्क है कि मरने के बाद जीवन के बाद होने के लिए चेतना को कुछ ऐसा होना चाहिए, जो पूरी तरह से हमारे भौतिक शरीर से अलग हो और भौतिकी के नियम, इससे इनकार करते हैं. मौत के बाद के जीवन पर उनका निष्कर्ष इस समझ पर बनाया गया है कि दैनिक जीवन में भौतिकी के नियम पूरी तरह से समझे जाते हैं, ऐसा इसलिए है, क्योंकि सबकुछ इसके ही दायरे में होता है.
डॉ. कैरोल का दावा है कि हमारे शरीर के मरने और उनके तत्वों को परमाणुओं में विलीन होने के बाद भी चेतना का कोई न कोई रूप बना रहता है. रोजमर्रा की जिंदगी को भौतिकी के नियमों से पूरी तरह से समझा जाता है. वहीं, इसके लिए कोई नियम नहीं है कि मरने के बाद भी हमारे दिमाग में संग्रहित जानकारी को बचाकर रखा जाए.
उन्होंने कहा कि यदि यह वास्तव में परमाणुओं और ज्ञात शक्तियों के अलावा कुछ भी नहीं है, तो स्पष्ट रूप से मौत के बाद आत्मा जीवित रहती है, इसका भी कोई आधार नहीं है. मौत के बाद जीवन में विश्वास करने के लिए भौतिकी की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम आधुनिक विज्ञान के बारे में, जो कुछ भी जानते हैं उसके साथ नाटकीय रूप से असंगत हैं. एक बार जब हम इस मुद्दे पर वास्तविकता का सामना करने के लिए खड़े हो जाते हैं, कि मनुष्य और चेतना वास्तव में कैसे काम करती है, उसके और अधिक उत्तर दे सकते हैं.
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