Science News: इस प्रोजेक्ट के प्रभारी डॉ. योगेश कुमार सोनी के मुताबिक, 'दूरबीन तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भेड़ एवं बकरियों में प्रयोग होने वाली नई प्रणाली है. इस कामयाबी के मिलने के बाद अब बकरी पालन के क्षेत्र में क्रांति आएगी.'
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Artificial insemination technique for goats: केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (Central Institute for Research on Goats) के वैज्ञानिकों ने एक बकरी के हिमीकृत (फ्रोजन) सीमेन की मदद से ‘लेप्रोस्कोपिक’ तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान करा मेमने का जन्म दिलाने में सफलता प्राप्त की है. इससे बकरी पालन में विकास होने की उम्मीद है.
बकरी पालन के क्षेत्र में आएगी क्रांति
इस स्वायत्तशाषी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह संस्थान की इस तरह की पहली बड़ी कामयाबी है. उन्होंने इसके साथ ये भी बताया कि फिलहाल मेमना और उसे जन्म देने वाली बकरी दोनों पूरी तरह से स्वस्थ है. दोनों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है. अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से बकरी पालन के क्षेत्र में सराहनीय विकास संभव हो सकेगा.
कृषि अनुसंधान परिषद की अनुषांगिक शाखा केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि ‘लेप्रोस्कोपिक’ तकनीक से बकरी में छह जुलाई को गर्भाधान किया गया था.
दो दिसंबर को मिली कामयाबी
उन्होंने बताया कि बकरी ने दो दिसंबर को मेमने को जन्म दिया और यह प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया. यह संस्थान यहां फरह क्षेत्र के मखदूम गांव में स्थित है. संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने इस प्रयास की सराहना की है. शोध टीम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसडी खर्चे, डॉ. योगेश कुमार सोनी, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. रवि रंजन एवं डॉ. आर पुरुषोत्तमन शामिल थे.
इस परियोजना के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर योगेश कुमार सोनी ने बताया 'दूरबीन तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भेड़ एवं बकरियों में प्रयोग होने वाली नई पद्धति है. इसके द्वारा उच्च गर्भधारण दर के साथ-साथ उच्च कोटि के नर बकरों के सीमेन का अब अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे भविष्य में बकरी पालन के क्षेत्र में क्रांति आएगी और ये क्षेत्र आगे चलकर और भी समृद्ध होगा.'
(इनपुट न्यूज़ एजेंसी भाषा के साथ)
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