27 मार्च की वो सुबह, जब सचिन ने कहा- मुझे ओपनिंग करने दो, फेल हो गया तो दोबारा नहीं करूंगा
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27 मार्च की वो सुबह, जब सचिन ने कहा- मुझे ओपनिंग करने दो, फेल हो गया तो दोबारा नहीं करूंगा

सचिन तेंदुलकर को 1994 में नवजोत सिंह सिद्धू के चोटिल होने के कारण ओपनिंग करने का मौका मिला था. 

सचिन तेंदुलकर ने बतौर ओपनर 344 मैचों में 15310 रन बनाए हैं. इनमें 45 शतक भी शामिल हैं. (फोटो: PTI)

नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर छह साल पहले ही क्रिकेट के मैदान को अलविदा कह चुके हैं. फिर भी वे आज ना सिर्फ देश, बल्कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक हैं. उनकी इस लोकप्रियता का बड़ा कारण उनके खेलने की शैली, स्वभाव के साथ-साथ वे रिकॉर्ड भी हैं, जो उनके नाम दर्ज हैं. वैसे तो सचिन तेंदुलकर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखते ही रिकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए थे. लेकिन सही मायने में उनके करियर में आज ही के दिन 25 साल पहले वह मौका आया था, जिसने उनके अनगिनत रिकॉर्ड बनाने के मौके दिए और उनकी लोकप्रियता को एवरेस्ट सी ऊंचाई प्रदान की. 

वह 27 मार्च का दिन था. ऑकलैंड में भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरा वनडे मैच खेलना था. मैच से कुछ घंटे पहले ही पता चला कि टीम के ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू की गर्दन की नस खिंची हुई है और वे खेल पाने की स्थिति में नहीं हैं. टीम में तीसरा ओपनर नहीं था और अब कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को यह निर्णय लेना था कि सिद्धू की जगह किसी ओपनिंग करने भेजा जाए. सलाह-मशविरे के बाद सचिन तेंदुलकर का नाम फाइनल हुआ. इस तरह ‘ऑकलैंड वनडे’ बतौर ओपनर सचिन के पहले मैच का गवाह बना. दूसरे शब्दों में कहें तो ओपनर सचिन का जन्म 27 मार्च 1994 को न्यूजीलैंड के शहर ऑकलैंड में हुआ. 

टॉस हारकर पहले गेंदबाजी करने वाली टीम इंडिया ने शानदार शुरुआत की. उसने न्यूजीलैंड के पांच विकेट 34 रन पर झटक लिए. क्रिस हैरिस ने फिफ्टी जमाई. इसके बावजूद मेजबान टीम 49.4 ओवर में 142 रन बनाकर ढेर हो गई. भारत की ओर से राजेश चौहान ने सबसे अधिक तीन विकेट लिए. कपिल देव, जवागल श्रीनाथ और सलिल अंकोला ने दो-दो विकेट लिए. 
 

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एक पारी हो चुकी थी... लेकिन सही मायने में खेल तो अभी शुरू भी नहीं हुआ था. भारत की ओर से अजय जडेजा (Ajay Jadeja) के साथ सचिन तेंदुलकर ओपनिंग करने उतरे. फिर तो रनों की बारिश आ गई. सचिन उस एक मौके पर ऐसे खेल रहे थे, जैसे वह उनकी करियर की पहली और आखिरी पारी भी हो. और सच में ऐसा ही तो था. उन्होंने टीम मैनेजर अजित वाडेकर से कुछ देर पहले यही तो कहा था, ‘मुझे ओपनिंग करने का मौका दीजिए. अगर मैं नाकाम रहा तो दोबारा ओपनिंग करने के लिए कभी नहीं कहूंगा.’

सचिन ने अपनी इस यादगार पारी में 82 रन बनाए. उन्होंने इसके लिए महज 49 गेंदें खेली थीं और इनमें 15 चौके व दो छक्के जमाए थे. यानी उन्होंने अपने 82 में से 72 रन सिर्फ बाउंड्री लगाकर बनाए थे. इसके साथ ही भारत को अपने वनडे इतिहास का सबसे कामयाब ओपनर मिल चुका था. सचिन ने बाद में अपनी ऑटोबायग्राफी में लिखा है कि जब उन्हें पता चला कि सिद्धू चोटिल हैं और टीम को दूसरे ओपनर की तलाश है. तब वे टीम मैनेजर के पास गए और ओपनिंग करने का मौका मांगा. 

आज जब सचिन तेंदुलकर सक्रिय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं, तब उनके नाम बतौर ओपनर 344 मैचों में 15310 रन दर्ज हैं. इनमें 45 शतक भी शामिल हैं. बतौर ओपनर तो छोड़िए, अपने पूरे करियर में भी दुनिया का कोई दूसरा क्रिकेटर ना तो इतने रन बना सका है और ना ही इतने शतक जमा चुका है. वैसे सचिन के नाम 464 वनडे मैचों में 49 शतकों की मदद से 18426 रन दर्ज हैं. 

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