सचिन की एक पारी से बदल गई जिंदगी, 10 की उम्र में चढ़ गया था कमेंट्री का बुखार, बम धमाके में बाल-बाल बची थी जान
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सचिन की एक पारी से बदल गई जिंदगी, 10 की उम्र में चढ़ गया था कमेंट्री का बुखार, बम धमाके में बाल-बाल बची थी जान

साल 1998 में शारजाह के मैदान पर डेजर्ट स्टॉर्म की पारी के दौरान जब सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज माइकल कास्प्रोविच की गेंद पर छक्का लगाया तो टोनी ग्रेग की कमेंट्री सुनकर 10 साल का एक लड़का जोश से इतना भर गया कि उसने कमेंट्री में अपना करियर बनाने का फैसला किया. 

सचिन की एक पारी से बदल गई जिंदगी, 10 की उम्र में चढ़ गया था कमेंट्री का बुखार, बम धमाके में बाल-बाल बची थी जान

साल 1998 में शारजाह के मैदान पर डेजर्ट स्टॉर्म की पारी के दौरान जब सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज माइकल कास्प्रोविच की गेंद पर छक्का लगाया तो टोनी ग्रेग की कमेंट्री सुनकर 10 साल का एक लड़का जोश से इतना भर गया कि उसने कमेंट्री में अपना करियर बनाने का फैसला किया. राजस्थान के जोधपुर के एक छोटे से गांव छत्तरपुरा के रहने वाले देवेंद्र कुमार को अब ‘काबुल की आवाज’ के नाम से जाना जाता है. देवेंद्र कुमार ने कमेंटेटर बनने के लिए किशोरावस्था में ही अपने गांव छत्तरपुरा को छोड़ दिया था. 

10 की उम्र में चढ़ गया था कमेंट्री का बुखार

देवेंद्र कुमार साल 2017 से अफगानिस्तान के लिए इंटरनेशनल मैचों में कमेंट्री कर रहे हैं. देवेंद्र कुमार कई बार काबुल गए है और वहां शपागीजा क्रिकेट लीग में कमेंट्री करते रहे हैं. देवेंद्र कुमार के मुताबिक किसी इंटरनेशनल कमेंटेटर ने साल 2017 में अफगानिस्तान बनाम आयरलैंड सीरीज के लिए शारजाह में अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) को उनके नाम की सिफारिश की थी. देवेंद्र कुमार 8 साल से पेशेवर कमेंटेटर हैं. देवेंद्र कुमार को अफगानिस्तान में जाकर कमेंट्री करना बहुत पसंद है.  

बम धमाके में बाल-बाल बची थी जान

देवेंद्र कुमार ने एक मैच के दौरान काबुल स्टेडियम में मौत को करीब से देखा था. साल 2022 में जब वह शपागीजा क्रिकेट लीग में कमेंट्री कर रहे थे तो काबुल स्टेडियम में बम विस्फोट के दौरान वह बाल-बाल बच गए थे. यह देवेंद्र कुमार के लिए एक दर्दनाक पल था. देवेंद्र कुमार जहां मौजूद थे वहां से बमुश्किल 10 गज की दूरी पर एक बम धमाका हुआ था. इस भयावह घटना के बावजूद देवेंद्र कुमार ने हार नहीं मानी और टूर्नामेंट खत्म होने तक वहीं रुके रहे.

सचिन की एक पारी से बदल गई जिंदगी

साल 1998 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शारजाह में कोका-कोला कप के दौरान खेला गया वनडे मैच देवेंद्र कुमार की जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इस मैच में टोनी ग्रेग की सचिन तेंदुलकर पर यादगार कमेंट्री से प्रभावित होकर देवेंद्र कुमार ने अपने हाथ में माइक्रोफोन पकड़ने का सपना देखा. देवेंद्र कुमार ने कभी किसी भी स्तर पर क्रिकेट नहीं खेला, फिर भी वह टोनी ग्रेग की आवाज से प्रभावित होकर कमेंटेटर बन गए.

अमेरिका में नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया

देवेंद्र कुमार ने 12वीं पास करने के बाद नर्सिंग का कोर्स किया. देवेंद्र कुमार को इसके बाद अमेरिका में नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी. देवेंद्र कुमार ने अमेरिका में नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया. 5 दिसंबर 2017 को आयरलैंड और अफगानिस्तान के बीच हुआ वनडे मुकाबला कमेंटेटर के रूप में देवेंद्र कुमार का पहला इंटरनेशनल मुकाबला था. इंटरनेशनल मैचों के अलावा देवेंद्र कुमार ACB के घरेलू लिस्ट ए और T20 टूर्नामेंट्स में भी कॉमेंट्री करते हैं और इसके लिए उन्हें हर साल दो से तीन बार काबुल भी जाना होता है. देवेंद्र कुमार के लिए अब काबुल दूसरे घर के जैसा हो गया है. अफगानिस्तान में देवेंद्र कुमार को 'काबुल की आवाज (Voice of Kabul)' भी कहा जाने लगा है.

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