एमएस धोनी (MS Dhoni) को टीम इंडिया का सबसे सफल कप्तान माना जाता है. धोनी ने अपनी कप्तानी में कई खिलाड़ियों के करियर बनाए हैं. लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो धोनी की वजह से ज्यादा नहीं बढ़ पाए.
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नई दिल्ली: टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने कई खिलाड़ियों का करियर बनाया है. रोहित शर्मा, विराट कोहली, शिखर धवन, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा और कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनका करियर धोनी की वजह से बना है. लेकिन आपको बता दें कि कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं जिनका करियर धोनी की वजह से खत्म हो गया. अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको इन्हीं खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं.
टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान भारत को कई बड़ी कामयाबी दिलाई हैं. 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में हुए 50 ओवर वर्ल्ड कप में गंभीर के बल्ले ने टीम इंडिया को चैंपियन बनाया है. लेकिन कभी भी उनको इस बात का उतना क्रडिट नहीं दिया गया जितना उन्हें मिलना चाहिए था. इसके अलावा गंभीर अपने रिटायरमेंट के बाद कई बार धोनी पर बड़े आरोप लगाते रहे हैं. गंभीर ने कई बार ऐसा भी कहा है कि धोनी की वजह से उनके करियर को ग्रहण लगा है.
दिनेश कार्तिक का करियर भी धोनी की वजह से ही खराब हो गया. धोनी की वजह से कार्तिक को टीम में खास मौके नहीं मिल पाए थे. 17 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास डेब्यू करने वाले कार्तिक ने 2004 में विकेटकीपर के रूप में भारतीय टीम अपनी जगह बनाई. हालांकि 2004 में जैसे ही धोनी ने टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था तब से कार्तिक बाहर हो गए.
कार्तिक के जैसे ही नमन ओझा का करियर भी धोनी की वजह से ही खत्म हो गया. ओझा को उसी वक्त टीम में जगह मिलने वाली थी जब धोनी ने अपना डेब्यू था, लेकिन फिर माही की वजह से उन्हें जगह नहीं मिल पाई. बाद में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें 2010 में पहली बार भारत के खिलाफ खेलने का मौका मिला. इसके 5 साल बाद 2015 में श्रीलंका के ही खिलाफ उन्होंने अपना पहला टेस्ट खेला. लेकिन 2019 तक विकेटकीपिंग पद पर अपना कब्जा जमाने वाले धोनी ने उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिलने दिए.
पार्थिव पटेल को भी धोनी से पहले बतौर विकेटकीपर टीम में शामिल किया गया था. लेकिन जैसे ही धोनी ने टीम में एंट्री मारी पार्थिव को भी ज्यादा मौके नहीं मिले. पार्थिव ने इसी बीच आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन धोनी जैसे खिलाड़ी की जगह टीम में ले पाना मुश्किल था. पार्थिव ने अपने करियर में कुल 25 टेस्ट मैच खेले.
बंगाल की ओर से खेलने वाले दीपदास गुप्ता भी एक अच्छे विकेटकीपर थे. लेकिन जैसा बाकी खिलाड़ियों के साथ हुआ वैसा ही उनके साथ भी हुआ. धोनी ने जैसे ही टीम में अपनी जगह बनाई दास गुप्ता कहीं गुम ही हो गए. उनका करियर टीम इंडिया के लिए महज एक साल का रहा. फिलहाल वो एक मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर हैं.