भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से उनके रिटायरमेंट को लेकर एक बात की थी. उस बात का खुलासा उन्होंने अब अपनी नई किताब में किया है.
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नई दिल्ली: टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने एक साल पहले इंटरनेटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. धोनी के इस फैसले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था. ऐसा ही कुछ उन्होंने 2014 के वक्त टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेते वक्त भी किया था. अब टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास पर एक बड़ा बयान दिया है.
भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री, जिन्होंने अपनी किताब में कई खिलाड़ियों के बारे में लिखा है, उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के पूर्व विकेटकीपर को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, उन्हें लगता है कि धोनी ने इस पर टिके रहकर सही फैसला लिया. धोनी ने जब संन्यास लिया था उस वक्त शास्त्री टीम निदेशक की भूमिका में थे.
शास्त्री ने लिखा, 'सभी क्रिकेटर कहते हैं कि लैंडमार्क और माइलस्टोन मायने नहीं रखते, लेकिन कुछ करते हैं. मैंने इस मुद्दे पर एक संपर्क किया और कोशिश कर रहा था कि वह अपना मन बदल सकें. लेकिन धोनी के लहजे में एक दृढ़ता थी जिसने मुझे मामले को आगे बढ़ाने से रोक दिया. पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे लगता है कि उनका निर्णय सही, साहसिक और निस्वार्थ था.' उन्होंने कहा, 'क्रिकेट में सबसे पावरफुल पॉजिशन को छोड़ना इतना आसान नहीं होता. धोनी एक अपरंपरागत क्रिकेटर हैं. उनकी विकेट के पीछे और सामने तकनीक का कोई तोड़ नहीं है. युवाओं को मेरा सुझाव है कि जब तक यह स्वाभाविक रूप से न आए, तब तक उनकी नकल करने की कोशिश न करें.'
भारत के पूर्व ऑलराउंडर का कहना है कि टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला साहसी और निस्वार्थ कदम था. शास्त्री ने साथ ही कहा कि धोनी 2014 में 90 टेस्ट खेल चुके थे लेकिन उन्होंने 100 टेस्ट खेलने तक का इंतजार नहीं किया. शास्त्री ने अपनी किताब स्टारगेजिंग: द प्लेयर्स इन माई लाइफ में लिखा, 'धोनी उस वक्त ना सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे जिनके नाम तीन आईसीसी ट्रॉफी थी जिसमें दो विश्व कप शामिल हैं. उनकी फॉर्म अच्छी थी और वह 100 टेस्ट पूरे करने से सिर्फ 10 मैच दूर थे.' उन्होंने लिखा, 'धोनी टीम के शीर्ष तीन फिट खिलाड़ियों में थे और उनके पास अपने करियर को बूस्ट करने का मौका था. यह सच है कि वह ज्यादा जवान नहीं थे लेकिन इतने उम्रदराज भी नहीं थे. उनका निर्णय समझ में नहीं आया.'
शास्त्री ने कहा, 'धोनी के समय खेलने वाला कोई भी विकेटकीपर इतना तेज नहीं था. वह लंबे समय तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रहे. धोनी मैदान पर जो कुछ भी हो रहा था, उसके अवलोकन में तेज थे और जब खेल की प्रवृत्ति को पढ़ने के आधार पर निर्णय लेने की बात आती थी तो वह अजीब थे.'
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