Cricketers Story: सचिन के फेयरवेल मैच के साथ खत्म हुआ इस खिलाड़ी का करियर, 10 साल की उम्र में थामा था बल्ला!
On This Day: महान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने साल 2013 में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला. हालांकि एक क्रिकेटर और है जो सचिन के फेयरवेल मैच में अपने करियर का आखिरी मुकाबला खेला. फिर कभी उस प्लेयर को इंटरनेशनल क्रिकेट में मौका नहीं मिला.
Pragyan Ojha Birthday, On this Day : भारत ने दुनिया को एक से एक क्रिकेटर दिए. महान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) इनमें से एक हैं, जिन्होंने दुनिया के हर कोने में अपने बल्ले का दम दिखाया. एक ऐसा ही क्रिकेटर है जो सचिन के फेयरवेल मैच (Sachin Farewell) में अपने करियर का आखिरी मुकाबला खेला. फिर कभी उस प्लेयर को इंटरनेशनल क्रिकेट में मौका नहीं मिल पाया.
कई टीमों के लिए खेले
जिस खिलाड़ी का जिक्र हो रहा है, वह भारत के पूर्व स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) हैं. साल 1986 में भुवनेश्वर में जन्मे प्रज्ञान ओझा आज यानी 5 सितंबर को अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने अपने करियर में कई टीमों का प्रतिनिधित्व किया, जिनमें हैदराबाद, बिहार, साउथ जोन और सरे काउंटी शामिल हैं. हालांकि उनका करियर 24 टेस्ट, 18 वनडे और 6 टी20 इंटरनेशनल मैचों का ही रहा.
1 बार लिए 10 विकेट
प्रज्ञान ओझा की गिनती देश के बेहतरीन स्पिनरों में होती थी. उन्होंने एक बार टेस्ट क्रिकेट में 10 विकेट लेने का कमाल भी किया. प्रज्ञान ने 24 टेस्ट मैचों में 113 विकेट लिए और वनडे इंटरनेशनल में कुल 21 विकेट झटके. इसके अलावा उन्होंने 6 टी20 इंटरनेशनल मैचों में 10 विकेट झटके. वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए भी खेले. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में प्रज्ञान ने 2.87 के बेहतरीन इकॉनमी रेट से कुल 424 विकेट लिए.
सचिन के फेयरवेल के साथ करियर समाप्त
प्रज्ञान ओझा ने साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी मुकाबला खेला. बता दें कि ये मुकाबला क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का भी आखिरी मुकाबला था. प्रज्ञान ने इस मुकाबले में घातक गेंदबाजी करते हुए दोनों पारियों में मिलाकर 10 विकेट लिए लेकिन उनकी ये कामयाबी सचिन के फेयरवेल मैच के सेलिब्रेशन की वजह से फीकी पड़ गई. ओझा ने इस मुकाबले के की पहली पारी में 40 रन देकर 5 और दूसरी पारी में 49 रन देकर 5 विकेट झटके.
10 साल की उम्र में थामा बल्ला
ओझा ने 2004-05 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया और अंडर-19 स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 2006-07 के रणजी ट्रॉफी सीजन को केवल 6 मैचों में 19.89 के प्रभावशाली औसत के साथ 29 विकेट लिए. बाएं हाथ के स्पिनर को गेंद को फ्लाइट कराने की क्षमता के लिए जाना जाता है. क्रिकेट में उनकी शुरुआत 10 साल की उम्र में हुई, जब वह डीएवी स्कूल में पढ़ाई के दौरान सासांग एस दास के साथ भुवनेश्वर में समर कैंप के लिए शाहिद स्पोर्टिंग क्लब गए थे. बाद में उन्होंने अपने कोच टी. विजय पॉल के मार्गदर्शन में क्रिकेट को अपने पेशे के रूप में चुना.