नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने बतौर कप्तान भले ही बड़ी ट्रॉफी नहीं जीती हो लेकिन उनकी कप्तानी में रहते हुए भारतीय टीम में कई बदलाव आए. हर फॉर्मेट में टीम इंडिया ने शानदार किया. इसमें कोई दोहराए नहीं है कि उनके बोल्ड फैसलों ने टीम को आगे के लिए तैयार किया.
टीम इंडिया में वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) का सेलेक्शन एक मीडिल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर हुआ था. अगर वो बीच में ही बल्लेबाजी करते तो उन्हें काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता क्योंकि टीम में पहले से ही काफी अनुभवी मीडिल ऑर्डर बल्लेबाज थे.
हालांकि गांगुली जानते थे कि सहवाग एक शानदार खिलाड़ी है और उन्हें प्लेइंग इलेवन में खिलाने के लिए उन्होंने सहवाग को ओपनिंग करने का ऑफर दिया. साथ ही ये भी भरोसा दिलाया कि अगर वो ओपनिंग में फ्लॉप साबित हुए तो उन्हें वो मीडिल ऑर्डर में मौका देंगे.
सहवाग ने ये ऑफर अपना और बाकि इतिहास हो सब जानते हैं.
उन दिनों भारत के स्पेशिलिस्ट विकेटकीपर टीम ने टॉप 7 में बल्लेबाजी करने के लिए तैयार नहीं थे. वो विकेट के पीछे अच्छे थे लेकिन लगातार टीम के लिए रन बनाना मुश्किल था और ऐसे में उन्हें एक बल्लेबाज की जगह उन्हें जगह देना मुश्किल हो रहा था.
तब सोरव गांगुली ने कुछ अलग हटकर सोचा और राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को विकेटकीपिंग करने लिए कहा क्योंकि ऐसे भारत को एक स्पेशिलिस्ट बल्लेबाज भी मिल जाता. गांगुली ये फैसला कितना सही साबित हुआ सब जानते हैं. इसके बाद भारत को एक शानदार विकेटकीपर बल्लेबाज मिला.
2003-04 में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर इरफान पठान को टीम में लिया गया था तब सबको लग रहा था कि वो प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना पाएंगे. लेकिन गांगुली ने एक युवा गेंदबाज को मौका दिया और पठान ने टेस्ट के साथ-साथ वनडे में भी डेब्यू किया.
करियर के शुरुआत में ही गांगुली ने इस खिलाड़ी को मौका दिया और बाद में इरफान पठान भारत के टॉप पेसर बने.
टेस्ट क्रिकेट में ज्यादातर सभी टीमें 7वें नंबर पर एक ऑलराउंडर खिलाते हैं, लेकिन गांगुली की सोच अलग थी. टीम इंडिया के पास उस वक्त कोई जबरदस्त ऑलराउंडर नहीं था जिसे विश्व की टॉप टीमों के साथ खिलाया जा सके.
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